प्रदेश के 70000 सरकारी स्कूलों में सिर्फ 1326 स्पेशल टीचर्स: बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने CM को लिखा पत्र,रीट-2021 में 5000 स्पेशल टीचर्स शामिल करने की मांग
जयपुर।
रीट-2021 में स्पेशल टीचर्स के 5 हजार पद शामिल करवाने की मांग को लेकर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। पूनियां ने राजस्थान विशेष शिक्षक संघ से मिले ज्ञापन की कॉपी भी साथ में गहलोत को भेजी है। पूनियां ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा है कि रीट-2021 में स्पेशल टीचर्स के 5 हजार पदों को शामिल करवाने के लिए मुझे ज्ञापन मिला है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि ज्ञापन से मेरी जानकारी में यह बात लाई गई है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे दिव्यांग बच्चों के लिए स्पेशल टीचर्स पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं।
जिसके कारण बड़ी संख्या में दिव्यांग बच्चे प्रदेश के सरकारी स्कूलों से ड्रॉप आउट होने पर मजबूर हो गए हैं।
स्पेशल टीचर्स नहीं होने से दिव्यांग बच्चे ड्रॉप आउट होने पर मजबूर
पूनियां ने कहा कि इस कैटेगरी के बच्चों को स्पेशल देखभाल की जरूरत रहती है। स्पेशल टीचर्स की कमी के कारण दिव्यांग बच्चों का साल दर साल प्रदेश के सरकारी स्कूलों से ड्रॉप आउट का लेवल बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान विशेष शिक्षक संघ रीट-2021 भर्ती में 5 हजार पद स्पेशल टीचर्स के शामिल करने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से धरने पर है। पूनियां ने उस ज्ञापन पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने और एक्शन लेने की मांग रखी। साथ ही कहा कि इससे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे दिव्यांग बच्चों को शिक्षक मिल सकेंगे और स्पेशल एजुकेशन में ट्रेनिंग लेकर बेरोजगारों को रोजगार के अच्छे मौके मिल सकेंगे।
74 हजार 333 दिव्यांग बच्चे अक्टूबर 2021 तक नॉमिनेटेड
ज्ञापन में लिखा गया है कि शाला दर्शन पोर्टल पर अक्टूबर 2021 तक 74 हजार 333 दिव्यांग बच्चे प्रदेशभर में नॉमिनेटेड हैं। राइट टू एजुकेशन 2009 और इंडियन रिहैबिलिटेशन काउंसिल के नियमों के तहत 8 दिव्यांग बच्चों पर 1 स्पेशल टीचर की नियुक्ति जरूरी है। दूसरी तरफ राजस्थान के शिक्षा विभाग की गाइडलाइंस के मुताबिक 5 दिव्यांग बच्चों पर 1 स्पेशल टीचर की नियुक्ति जरूरी है। इन आंकड़ों के आधार पर प्रदेशभर में 14866 स्पेशल टीचर्स की जरूरत है। दूसरी ओर आरटीआई से मिले आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में मौजूदा वक्त में 1326 रेग्युलर और प्लेसमेंट एजेंसियों से नियुक्त स्पेशल टीचर्स की काम कर रहे हैं। इसलिए प्रदेश में बड़े लेवल पर स्पेशल टीचर्स की जरूरत है।
70 हजार स्कूलों में केवल 1326 स्पेशल टीचर्स
साल 2019 में यूनेस्को की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्थान में 3 लाख 6750 दिव्यांग बच्चे स्कूल जाने योग्य हैं। लेकिन स्पेशल टीचर्स की भारी कमी के कारण वे स्कूलों में प्रवेश नहीं ले पाते हैं। राजस्थान के 70 हजार सरकारी स्कूलों में केवल 1326 ही स्पेशल टीचर्स हैं।
दिव्यांग बच्चों को सामान्य शिक्षकों से पढ़वाना कानूनन अपराध
दिव्यांग बच्चों की एजुकेशन की स्थिति सुधारने के लिए आरटीई 2009 और आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 के निर्देशों के मुताबिक हर स्कूल में स्पेशल टीचर की अनिवार्य तौर पर नियुक्ति की जाए। वहीं भारतीय पुनर्वास परिषद के नियमों के तहत सामान्य टीचर्स से दिव्यांग बच्चों को पढ़वाना कानूनन अपराध है।