राजस्थान की घासें
▪️सेवण (लीलोण) एवं धामण – जैसलमेर, बाड़मेर क्षेत्र में पाई जाने वाली पौष्टिक घास जो मरुस्थल के विस्तार को नियंत्रित करती है।
▪️सुगणी - जैसलमेर के आस-पास के क्षेत्रों में पाई जाने वाली, इस घास से सिस्क्यूटरपेनस तेल निकाला जाता है, जिसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है ।
▪️खस - सवाईमाधोपुर, भरतपुर, टोंक जिलों में पाई जाने वाली इस घास की जड़ों से सुगंधित तेल निकाला जाता है जो इ व शरबत बनाने के काम आता है।
▪️शतावरी (नाहरकोटा) - आयुर्वेदिक महत्त्व की इस घास की जड़ें पौरुषवर्द्धक एवं महिलाओं में दुग्धवर्द्धक होती हैं।