The place and importance of mathematics in the school curriculum for children with visual IMPAIRMENT

The place and importance of mathematics in the school curriculum for children with visual IMPAIRMENT 
1.2 दृष्टिबाधित बालक के लिए विद्यालय पाठ्यक्रम में गणित का स्थान तथा महत्व–

C.v. भीम संकरण के अनुसार – " गणित मानव के चिंतन की देन है जिसका अनुभवों से कोई संबंध नहीं है। सिद्धता इसका अधिकार है। इसके द्वार संबंध बौद्धिक तार्किक चिंतन का विकास होता है जो ब्रम्हांड के नियमो की जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है।"
पियर्स के अनुसार — " गणित एक विज्ञान है जिसकी सहायता से आवश्यक निष्कर्ष निकाले जाते हैं " ।
होगबेन के अनुसार – " गणित संस्कृति का दर्पण है " 
नेपोलियन के अनुसार – " जब भी हम लोहा भाप, विद्युत के युग की ओर दृष्टिपात करते हैं तो हमे यह ज्ञान होता है गणित सदैव अग्रणीय रहा है यदि इस रीढ़ की हड्डी को हटा दिया जाए तो भौतिक सभ्यता समाप्त हो जाए। 
गणित की प्रगति के साथ राज्य की खुशहाली जुडी होती है।
आइंटीन के अनुसार– " गणित क्या है यह उस मानव चिंतन का प्रतिफल है,जो अनुभवों से स्वतंत्र है, सत्य के अनुरूप है।" 
           " तार्किक चिंतन के लिए गणित एक शक्तिशाली साधन है" 

      उपरोक्त कथनों पर चिंतन किया जाए की कौनसा विषय हमारी सभ्यता के लिए उपयोगी है तो निर्विवाद रूप से इन प्रश्न का उत्तर गणित ही होगा। क्योंकि गणित ही हमारे जीवन से एवं प्रकृति से जितना करीब संबंध है उतना किसी अन्य से नही । समस्त कलाए, शास्त्र, ज्ञान विज्ञान। व्यापार आदि गणित के ज्ञान पर निर्भर करते हैं। सूर्य और ग्रहों की गति ज्ञात करने से हमारे दैनिक लैन- देन तक की क्रियाओं में गणित की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए बिना गणित के ज्ञान के शिक्षा अधूरी है।
       शिक्षा का उद्देश्य शिक्षार्थी को वह सारा ज्ञान देना है तो उसे परिवेश से सामंजस्य करने के लिए चाहिए अतः विद्यालय के पाठ्यक्रम में गणित विषय होना अति आवश्यक है और पाठ्यक्रम में गणित की उपयोगिता को (स्थान) को निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत समझा सकेंगे।
गणित का यथार्थ विज्ञान होना – गणित को पढ़ने का मुख्य कारण है इस विषय में अध्ययन से छात्रों में दृष्टिकोण में स्पष्टता पैदा होती है। गणित का अच्छा विद्यार्थी अपने कार्यों में सही एवं स्पष्ट रहता है। गणित में किसी प्रश्न का उत्तर या तो हां होता है या नही होता है। और इन दो के अलावा कोई तीसरा नही होता। गणित विषय भी इसी स्पष्ट प्रकृति के कारण यह विद्यार्थियों में विचारों में स्पष्टता पैदा करता है।
          2. तार्किक दृष्टिकोण पैदा करना– गणित में हम जो भी मत तथ्य सूत्र आदि लिखते या करते हैं। उन सभी के पीछे कोई न कोई तर्क अवश्य होता है । गणित के किसी प्रश्न के तल या प्रत्येक पद से पिछले तर्क के आधार से जुड़ा होता है की गणित एक तर्क पर आधारित विषय है। इस विषय का अध्ययन छात्र में तार्किक दृष्टिकोण पैदा करता है।
3. दैनिक जीवन से संबंधित होना— गणित को व्यापार का प्राण व विज्ञान का जन्मदाता कहा जाता है। हम मकान बनवाते हैं, दर्जी कपड़े सिलता है, हम बाजार से सामान मगवाते है आदि सभी कार्य गणित के विषय से जुड़े हैं। बजट बनवाना विभिन्न प्रकार का लेन देन करना, समय की जानकारी करना आदि। गणित की जानकारी के बिना नही किया जा सकता है। इसीलिए विद्यालय पाठ्यक्रम में गणित का स्थान महत्वपूर्ण है।
4. वैज्ञानिक विषयों की आधार शिला – विज्ञान की विभिन्न शाखाओं तथा भौतिक शास्त्र , जीव विज्ञान , चिकित्सा विज्ञान , भूगर्भ विज्ञान, ज्योतिष शास्त्र आदि महत्वपूर्ण विषयों की आधार शिला गणित ही हैं। उदाहरण– आयतन, क्षेत्रफल, भार, अणु व परमाणु की संख्या औषधि निर्माण तथा अन्य मापतौल आदि सब गणित के ज्ञान से संबंधित है।
5. सोचने का विशेष दृष्टिकोण विकसित करना – गणित के अध्यन से विद्यार्थियों में ऐसा दृष्टिकोण विकसित होने लगता है। जिसके द्वारा वे अपना कार्य कर्मबद्ध नियमित तथा शुद्धता के साथ करना सीख जाते हैं। इसके साथ उनमें तार्किक ढंग से सीखने व समझने का भी दृष्टिकोण विकसित होता है।
निष्कर्ष – 
               विद्यालय में वैसे तो उनके विषय पढ़ाए जाते हैं।जिनकी अपनी अपनी उपयोगिता है तो गणित का स्थान सभी विषयों में सर्वोपरी माना जाता है गणित यह साधन है जिसका मनुष्य से विशेष रूप से उनमें मतिष्क से गहरा संबंध है।प्राचीन यूनानी दार्शनिको ने भी अपने अन्वेष्णों का आधार गणित को ही बनाया। भारतीय पद्धति ज्योतिष तथा अरबी प्रणाली रमल विशुद्धता से गणित पर आधारित है। गणित हमारी मानसिक शक्तियों जैसे– कल्पना, तर्क, इच्छाशक्ति, एकाग्रता, आत्मविश्वास आदि का विकास और परिष्कार करता है।
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