2.3 Hearing Impairment Deafness and Hard of Hearing

Understand to disability 

Unit-2.3

श्रवण दोष-बहरापन और सुनने में कठिनाई Hearing Impairment Deafness and Hard of Hearing


Hearing Impairment (श्रवण अक्षमता) का अर्थ :- सुनने में किसी भी प्रकार का दोष होना, चाहे वह वंशानुगत होने से कान के पीछे किसी भी अंग के खराब होने से हो या वातावरणीय कारणों से ।
दूसरे शब्दों में जब कोई व्यक्ति या बालक सामान्य वातावरण में उपस्थित ध्वनि आवाज को अपने कान के किसी भी अंग में खराबी के कारण सामान्य वातावरण की आवाजों को सुनने में असमर्थ होता है तो उसे हम श्रवण बाधिता सामान्य वातावरण की आवाजों को सुनने में असमर्थ का नाम देते हैं।

जब कोई व्यक्ति या बालक अपने कान के किसी भी अंग की खराबी बीमारी आज के कारण सामान्य रूप से सुनने वाले व्यक्तियों की आवाज को सुनने की शक्ति में अवरोध उत्पन्न होता है उसे हम श्रवण दोष कहते हैं।

भारतीय पुनर्वास परिषद (1992):-   जब बधिरता 70 dB हो तो व्यवसायिक तथा जब 55dB तक हो तो उसे शिक्षा के लिए प्रयोग में लेना चाहिए।"

विकलांग जन अधिनियम (1995):- "वह व्यक्ति श्रवण बाधित कहा जाएगा जो 60dB या उससे अधिक कठ पर सुनने की क्षमता रखता हो। "

राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (1991) :- " श्रवण बाधित उसे कहा जाता है जो सामान्य रूप से सामान्य ध्वनि को सुनने में अक्षम हो।"

श्रवण शक्ति मौखिक संदेश वाहकता अधिगम मानसिक विकास और भाषा का विकास सबसे सशक्त साधन है । वे समस्त बच्चे जिन्हें सुनने के संबंध में कोई कठिनाई है, श्रवण क्षति युक्त बच्चे कहलाते हैं। यह क्षमता दो तरह की होती है ।

क. पूर्णतया बधिर (Deaf)

ख. अल्प श्रवण वाले बच्चे (Hard Of Hearing)

क. पूर्णतया बधिर ऐसे बच्चों का श्रवण क्षय 90 dB या इससे अधिक डेसीबल स्तर का होता है। ऐसे बच्चे श्रवण यंत्र के बिना और श्रवण यंत्र लगा कर भी कुछ नहीं सुन पाते ।

ख. अल्प श्रवण वाले बच्चे (Hard Of Hearing ) :- ऐसे बच्चों में श्रवण यंत्र का उपयोग कर सुनने की प्रक्रिया को सरल किया जाता है अतः ऐसे बच्चों में श्रवण की संभावनाएं अधिक होती हैं।

श्रवण क्षतिग्रस्तता का वर्गीकरण :- किसी भी समस्या का अध्ययन, निदान एवं समाधान के लिए उसका वर्गीकरण करना आवश्यक होता है। बधिरता का वर्गीकरण दो प्रकार से किया जाता है।

१. गंभीरता के अनुसार

२. प्रकार के अनुसार

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१. गंभीरता के अनुसार-गंभीरता व डिग्री के अनुसार श्रवण क्षतिग्रस्तता को वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया गया है।

क्लार्क के अनुसार:-

10-25 dB                            -       सामान्य 

26-40 dB                           -         अति अल्प
26-40 dB

41-55 dB                                   अल्प (Moderate )

56 70 dB                                   अल्पतम (Moderately)


71-90 dB                                   गंभीर (Severe )

91dB या अधिक                                   अति गंभीर SPEC (Profound) ATION


विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार :-

0-25 dB                         -          सामान्य (Normal)

26-40 dB                       -             अति अल्प (Mild)


41-55 dB                        -           अल्प 


56–70 dB                      -             अल्पतम (Moderately )

71-90 dB                      -             गंभीर (Severe )

91 dB या अधिक            -               अति गंभीर (Profound)

2. प्रकार के अनुसार :- श्रवण अक्षमता का वर्गीकरण जब प्रकार के अनुसार किया जाता है तो इसे मुख्यतः तीन प्रकार में वर्गीकृत किया जाता है। जिनका विस्तृत वर्णन इस प्रकार है ।

A. चालित श्रवण क्षति (Conductive Hearing Loss) जब बोन कंडक्शन का थ्रेशोल्ड सामान्य हो और एयर कन्डक्शन का थ्रेशोल्ड असामान्य हो और दोनों के बीच की दूरी 10 डेसीबल से अधिक हो तब इसे हम चलित श्रवण क्षति कहते हैं। इसमें सेवार्थी के बाह्य कर्ण या मध्यकर्ण अथवा दोनों में समस्या होती है।

B. संवेदीय श्रवण क्षति (Sensori Hearing Loss ) जब एयर कन्डक्शन और बोन कंडक्शन दोनों असामान्य तथा उनके बीच की दूरी - 10 डेसीबल से कम हो तो इस स्थिति को संवेदी श्रवण क्षति कहते हैं।

3. मिश्रित श्रवण क्षति (Mixed Hearing LOSS ) - जब एयर कन्डक्शन और बोन कंडक्शन दोनों असामान्य तथा उनके बीच की दूरी 10 डेसीबल से अधिक हो तो इस स्थिति को संवेदी श्रवण क्षति कहते हैं। इसमें सेवार्थी के बाह्य कर्ण मध्यकर्ण एवं अंतःकर्ण मी समस्या होती है।


इसके अतिरिक्त श्रवण अक्षमता को अन्य तरह से भी वर्गीकृत किया जाता है, जो विशेषकर प्रभावित अंग एवं अवस्थाओं पर आधारित होता है-

क.  केंद्रीय श्रवण दोष (Central Hearing Loss) ::- किसी चोट या संक्रमण के कारण जब मस्तिष्क का 21वां एवं 22 वा भाग प्रभावित - होता है, तो इस प्रकार की बाधिता को केंद्रीय श्रवण दोष कहते हैं। इस प्रकार की समस्या से ग्रसित व्यक्ति सोच समझ सकता है, परंतु व्यक्त करने में अक्षम होता है।

ख. अकायिक श्रवण दोष (Non & Organic Hearing Loss) :- जब किसी व्यक्ति की शारीरिक संरचना में क्षतिग्रस्तता ना होकर बल्कि कोई अवांछनीय पदार्थ कान के अंदर जमा होने पर बाधिता आ जाती है। तो उसे अकायिक श्रवण दोष कहा जाता है। या दोष मनोवैज्ञानिक भी होता है।

ग. कायिक श्रवण दोष (Organic Hearing Loss) :- जब व्यक्ति के कान के किसी भी भाग में क्षति हो जाती है तथा उससे श्रवण समस्या उत्पन्न होती है, तो इसे कायिक श्रवण दोष कहा जाता है।

घ. वंशानुगत श्रवण दोष (Hereditary Hearing Loss) :- जब श्रवण दोष गुणसूत्रों की अनियमितता के कारण होता है। तो वह एक वंश से दूसरे वंश तक प्रभावित करता है इसे वंशानुगत श्रवण दोष कहते हैं।

ड. जन्मजात श्रवण दोष (Congenital Hearing Loss ) :- जन्म के समय किसी भी कारण से होने वाला श्रवण दोष जन्मजात श्रवण दोष कहलाता है। यह वंशानुगत, प्रसव पूर्व या प्रसव के दौरान हो सकता है।

च. उपार्जित श्रवण दोष (Acquired Hearing Loss) :- जन्म के बाद किसी भी चोट, संक्रमण अथवा गंभीर बीमारी के कारण होने वाला दोष उपार्जित श्रवण दोष कहलाता है।

छ. भाषा विकास– पूर्व श्रवण दोष (Pre&Lingual Hearing Loss) :- जब किसी बच्चे में वाणी एवं भाषा विकास की आयु से पूर्व श्रवण समस्या उत्पन्न होती है, तो उसे भाषा विकास पूर्व श्रवण दोष कहते हैं।

ज. पश्च भाषा विकास श्रवण दोष (Post & Lingual Hearing Loss) :- भाषा श्रवण दोष कहलाता है। - वाणी एवं भाषा विकास के समय के उपरांत होने वाला श्रवण दोष पश्च

झ. आकस्मिक श्रवण दोष (Sudden Hearing Loss ) :- जब किसी व्यक्ति की श्रवण तंत्रिका आकस्मिक चोट अथवा दुर्घटना के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती है। तथा उसके श्रवण को प्रभावित करती है, तो इसे आकस्मिक श्रवण दोष कहते हैं।

ञ. संवर्धित श्रवण दोष (Progressive Hearing Loss ) :- जब किसी प्रकार की चोट अथवा दुर्घटना के कारण व्यक्ति में श्रवण समस्या की गंभीरता बढ़ती है तो इस प्रकार की श्रवण समस्या को संबंधित श्रवण दोष कहते हैं। इस प्रकार की समस्या कान के बाहरी, मध्य, आंतरिक अथवा श्रवण तंत्रिका में संक्रमण या बीमारी के कारण उत्पन्न होती है।

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