Unit 5.4
TADOMA Method, Braille and Large Print
Tadoma Method
टाडोमा बाधिरांध व्यक्तियों द्वारा उपयोग किया जाने वाला संप्रेषण का एक माध्यम है। टाडोमा होठों का स्पर्श से पढ़ना हैं।
इसमें बाधिरांध व्यक्ति अपने अंगूठे का वक्ता के होठों पर, और अपनी उंगलियों जबड़ों पर इस प्रकार रखता है कि वे वक्ता के गालों और गले को छू रही हो। इससे वह बोलचाल के कंपन्न को तथा होठों के पैटर्न को महसूस कर सकता है इसे Tactile lip reading कहते हैं । क्योंकि बाधिरांध व्यक्ति होठों की आवाजाही , साथ ही साथ गालों के फूलने और नाक की आवाज जैसे N और M तरह की आवाजे महसूस करता रहें।
टाडोमा पद्धति का आविष्कार 1920 के दशक में अमेरिकी शिक्षक सोफी अल्कोर्न द्वारा किया गया और perkins school for the blind में विकसित हुआ। इसे सर्वप्रथम विन्थ्रप ' टैड' चैपमेन और ओमा सिंपसन को सिखाया गया था और इन्हीं के आधार पर इसका नाम रखा गया था।
टाडोमा पद्धति के लिए अत्यधिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, इसके लिए अच्छी स्पर्शजन्य भेद कुशलता तथा ज्ञानात्मक कुशलता की आवश्यकता होती है।
Braille —
ब्रेल पद्धति की तरह की लिपि है जिसको विश्व भर में दृष्टिबाधितों को पढ़ने और लिखने में छूकर व्यवहार में लाया जाता है। इस पद्धति का आविष्कार एक दृष्टिबाधित लेखक लुई ब्रेल ने किया था। यह अलग-अलग अक्षरों, संख्याओं और विराम चिह्नो को दर्शाते हैं।
ब्रेल लिपि को लिपियों की रानी कहा जाता है।
ब्रेल लिपि के 6 बिंदुओं से 64 प्रतिरूप तैयार किए जा सकते हैं।
LARGE PRINT —
बड़े अक्षर वाली पुस्तक साधारण पन्नों पर 18 से अधिक फोंट साइज पर छपी होती है। साधारण छपाई 10 से 12 font size पर होती है।
साधारण प्रिंटर का उपयोग करके भी पुस्तक की डिजिटल कॉपी से बड़े अक्षरों वाली पुस्तक बनाई जा सकती है। Photo copier machine द्वारा सिर्फ कागज पर उपलब्ध पुस्तक को भी 200% तक बड़ा किया जा सकता है।
एक digital पुस्तक को स्क्रीन आवर्धक सॉफ्टवेयर के माध्यम से, amis या ease reader जैसे software के माध्यम से कंप्यूटर पर भी बड़े छापे की पुस्तक के रूप में पढ़ा जा सकता है। आवश्यकतानुसार काली पृष्ठभूमि पर सफेद और सफेद पृष्ठभूमि पर काले अक्षर भी ला सकते हैं । यह पुस्तकें अल्प दृष्टि बाधित बाधिरांध व्यक्तियों के लिए अधिक उपयोगी होती है।
AMIS - ADAPTIVE MULTIMEDIA INFORMATION SYSTEM