Introduction to Disability
विकलांगता का परिचय
(विकलांगता के कारणों, रोकथाम, व्यापकता और जनसांख्यिकीय प्रोफाइल का अवलोकनः राष्ट्रीय और वैश्विक )
विकलांगता के कारण :-
1. गर्भधारण के पूर्व के कारक
2. गर्भावस्था के समय के कारण
3. जन्म के समय के कारण
गर्भधारण से पूर्व के कारण
> नजदीकी से में शादी होना।
> मां का उम्र में कम या ज्यादा होना।
कुपोषण या स्वास्थ्य का खराब होना।
मादक पदार्थों का सेवन ।
> अनुवांशिकता या वंशानुगत
गर्भावस्था के समय के कारण :-
> गर्भवती महिला को प्रथम 3 महीने में ऐसे संक्रमण का होना जो गर्भ में बालक के मस्तिष्क पर प्रभाव डालें। जैसे खसरा,
टीवी आदि ।
> गर्भावस्था में मां का उच्च रक्तचाप या मधुमेह या निम्न रक्तचाप होना, रक्त की कमी होना ।,
> चोट लगने से भारी सामान उठाने से ।
> बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई का सेवन करने से।
> गर्भवती स्त्री को मदिरा, धूम्रपान का सेवन करने से
> गर्भावस्था के दौरान अधिक एक्सरे करवाने से
> पोषाहार की कमी।
जन्म के समय के कारण :-
समय से पूर्व बच्चे का जन्म होना।
जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी होना।
> मां का अत्यधिक खून बह जाना।
अत्यधिक कम वजन होने पर
मां को दी गयी बेहोशी के कारण।
लंबे समय से प्रसव पीड़ा होने के कारण।
जन्म के बाद :-
जन्म के 2 वर्ष के जीवन काल में बच्चे को अधिक कुपोषण के कारण।
दवाइयों के कुपोषण के कारण।
यदि बच्चों को बार-बार मिर्गी के दौरे आ रहे हो।
टीकाकरण समय से ना होने के कारण।
रोकथाम (Prevention ) - अक्षमता की रोकथाम मुख्यतः तीन प्रकार की होती है। हमारे देश की कुल जनसंख्या का 10 व्यक्ति किसी न किसी अक्षमता से ग्रसित है। यह अक्षम व्यक्ति अपने परिवार व समाज के ऊपर बहुत समझे जाते हैं। रोकथाम इलाज से बेहतर उपाय है। रोकथाम के विभिन्न उपायों में से समाज में व्यक्ति को विकलांगता के दुष्प्रभावों से बचाया जा सकता है। रोकथाम के कार्य निम्नलिखित स्तर पर किए जाते हैं।
1. प्राथमिक स्तर
2. द्वितीयक स्तर
3. तृतीयक स्तर
प्राथमिक स्तर :- इसमें रोगों से बचने के लिए जो भी उपाय किए जाते हैं उसे प्राथमिक रोकथाम कहते हैं ।
निकट रक्त संबंध में शादी ना करना।
सुरक्षित गर्भावस्था
पौष्टिक आहार
संक्रमित रोगों से बचाव
गर्भावस्था की नियमित जांच
सुरक्षित प्रसव
मां की आयु
द्वितीयक रोकथाम :- यदि कोई रोग द्वितीय ग्रुप के अंतर्गत आता इसके लिए चिकित्सकीय इलाज कराना पड़ता है। चिकित्सकीय के कारण शीघ्र पहचान बहुत आवश्यक होती है। उन सभी व्यक्तियों का इलाज व पहचान जल्द से जल्द होना चाहिए। जिससे विकलांगता भयानक रूप ना ले सके।
जैसे- यदि किसी बच्चे को आंख में देखने में समस्या होती है, तो उसे जल्द से जल्द नेत्र चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए जिससे उस बच्चे की समस्या का निदान हो सके और अगर समय पर इलाज ना हुआ तो बच्चा दृष्टि बाधित हो सकता है।
तृतीयक रोकथाम
:- यह रोकथाम का अंतिम चरण है जब रोग अक्षमता का रूप धारण करता है तो उसके पुनर्वास के लिए जो भी
कार्य किए जाते हैं तृतीयक रोकथाम के अंतर्गत आते हैं।
जैसे :-
यदि कोई व्यक्ति
यक्ति गामक अक्षमता से ग्रसित हो
तो उसे चलने फिरने
अक्षमता से ग्रसित हो तो उसे चलने फिरने में कठिनाइयों से बचाने के लिए तथा
उसका पुनर्वास करने के लिए उस गामक अक्षमता वाले व्यक्ति के लिए ट्राईसाईकिल वैशाखी उपलब्ध करा सकते हैं।
एपिडेमियोलॉजी वह विज्ञान है जो किसी भी रोग के वितरण दोष, अक्षमता या मृत्यु का अध्ययन करता है। इसके अंतर्गत जनसंख्या की कुछ दशा के मामलों की संख्या का अध्ययन भी किया जाता है। इसमें जनसंख्या का वर्गीकरण आयु लिंग एवं सामाजिक वर्ग के आधार पर भी होता है।
व्यापकता दर :- इसमें मामलों की कुल संख्या का अध्ययन होता है। बेलपत्र शब्द का अर्थ और पुराने सभी प्रकार के वर्तमान मामलों से है जो एक दिए गए आबादी में निश्चित समय में मिलते हैं।
व्यापकता दर = सभी वर्तमान मामलों की संख्या ×100
दी गई आबादी
(किसी विशिष्ट बीमारी के जो निश्चित समयावधि में मिले)
उदाहरण:- किसी क्षेत्र की 30000 आबादी में एक बीमारी के 200 पुराने तथा 500 मामले 1 वर्ष के अंदर मिलते हैं तो इनकी व्यापकता दर