Assessment – hearing, vision and age of onset आकलन: सुनने देखने और आयु निर्धारण

 UNIT - 5 

Teaching of Deafblind Children
( बधिरांध बच्चों का शिक्षण ) 


Unit 5.1

 Assessment – hearing, vision and age of onset
( आकलन: सुनने देखने और आयु निर्धारण ) 

बधिरांध शब्द संवेदी क्षति को प्रकट करता है। यह देखने और सुनने की विकलांगता ओं का समूह है । एक बुद्धिमान व्यक्ति के लिए बधिरांध व्यक्ति के लिए इस दुनिया का अनुभव केवल वहीं तक है जहां तक उनकी उंगलियां स्पष्ट कर सकती है।



परिभाषा:- 

बधिरान्धता सुनने और देखने की विकलांगताओं का ऐसा संयोजन है जिससे बच्चे में संप्रेषण , विकासात्मक और शिक्षा की ऐसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती है कि उसे न तो बधिर बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम मैं और न ही दृष्टिबाधितों के लिए विशेष कार्यक्रमों में शामिल किया जा सकता है। 


आकलन ( assessment ) 

बधिरान्धता व्यक्ति में संप्रेषण की गंभीर समस्या उत्पन्न करती है। इससे उसका विकास एवं शिक्षा दोनों बाधित हो जाती है। अतः सही समय पर इसका आकलन करना अत्यंत आवश्यक है।   

"आकलन का संबंध व्यक्तिगत रूप से छात्रों के लिए ज्ञानात्मक भावात्मक एवं क्रियात्मक पक्षों से संबंधित तथ्यों का विश्लेषण तथा व्याख्या करने से हैं। " 

बधिरांध बालकों का आकलन श्रवण , दृष्टि एवं आयु निर्धारण में किया जाना आवश्यक है एक बधिरांध बालक का आकलन निम्न चरणों में संपन्न किया जाता है—


  1. दृष्टि का मूल्यांकन
  2. कार्यात्मक दृष्टि एवं कार्यात्मकता का आकलन
  3. श्रवण आकलन
  4. औपचारिक एवं अनौपचारिक भाषा परीक्षण
  5. Audio logical आकलन की आवश्यकता।
  6. श्रवण क्षमता परीक्षण
  7. वेज क्षेत्र जिनमें परीक्षण किया जाना आवश्यक है।।


दृष्टि का मूल्यांकन — 

इसके अंतर्गत निम्नलिखित तथ्यों का आकलन किया जाता है —

  1. दृष्टि तीक्ष्णता की जांच
  2. रंग दृष्टि ( color vision ) की जांच
  3.  Contrast ( संवेदनशीलता ) test
  4.  Visual field test 


कार्यात्मक दृष्टि एवं कार्यात्मकता का आकलन

( Assessment of vision functions and functioning )


  1. दृष्टिगत व्यवहार ( visual behaviour ) 
  2.  नेत्र गतिशीलता ( eye moment ) 
  3. दृष्टि ध्यान ( visual attention ) 
  4.  पहचानना और निर्धारण करना ( recognise and determine ) 
  5. गतिमान वस्तु का पीछा करना ( tracking ) 
  6.  नेत्र हस्त सामंजस्य ( eye hand coordination ) 
  7.  किसी वस्तु को पहचानना ( recognization object ) 


श्रवण मूल्यांकन 

सुनना या श्रवण बोलने और मौखिक संप्रेषण विकास के लिए अति महत्वपूर्ण ज्ञानेंद्रियां है यदि एक बालक का श्रवण शुद्ध नहीं होगा तो उसके उच्चारण में भी अ शुद्धता आएगी । सुनना सीखने तथा अन्य अनुभवों को भी प्रभावित करता है। इसीलिए सुनने में बाधा का आकलन शीघ्र होना अति आवश्यक है क्योंकि यह बालक के संपूर्ण विकास को प्रभावित करता है। श्रवण दोष बालक के शैक्षिक उपलब्धियों को भी प्रभावित करता है। चाहे यह दोष एक कान में हो अथवा दोनों, अर्थात बालक अल्प श्रवण बाधित हो या पूर्ण श्रवण बाधित। श्रवण मूल्यांकन हेतु निम्न प्रक्रिया अपनाते हैं — 

  • व्यवहार आकलन (behaviour observation ) 
  •  Crivogram technique
  •  उद्देश्यपूर्ण मूल्यांकन ( objective measurement ) 
  •  मध्य कान की जांच के लिए impedance audio metry का प्रयोग।
  •  औपचारिक और अनौपचारिक भाषा परीक्षण।
  • श्रवण बाधा परीक्षण जैसे - voice test, tuning fork test, rinne's, weber's test, bing test, 

श्रवन बाधा के साथ वाणी संबंधी दोष होना सामान्य समस्या है। यदि किसी बालक में दृष्टि हीनता के साथ श्रवण बाधिता भी उपस्थित है तो वह बहुविकलांग बालक कहलाता है । ऐसे बच्चों में बधिरांधता के कारण अनेक समस्याएं उत्पन्न होती है, जिनका निर्माण समय पर इनकी पहचान करके ही संभव है ।

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