( दृष्टिबाधित के साथ अतिरिक्त विकलांगता वाले बच्चों की शिक्षा)
दृष्टिबाधित आ तथा अन्य विकलांगता ओं के साथ शिक्षण प्रशिक्षण एक चुनौतीपूर्ण कार्य हैं संबंधित सामान्य बालकों की अधिकांश शैक्षणिक आवश्यकताएं समान होती है किंतु विकलांग बालकों की शैक्षिक आवश्यकता हिंदी विशिष्ट हो जाती है यह स्थिति और अधिक गंभीर हो जाती है जब बालक विकलांग हो ।
बहु विकलांग बालकों को दी जाने वाली शिक्षा की प्रणाली हमारे देश में अभी नई है । अभी भी बहुत विकलांग बच्चों को बहुत निम्न स्तर की शिक्षा उपलब्ध हो पा रही है दृष्टिबाधित के साथ अतिरिक्त विकलांग बालकों के समक्ष गंभीर शैक्षणिक प्रस्तुत करती है। यह स्थिति अध्यापकों के लिए भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है
भारत सरकार ने वर्ष 1981 को अंतरराष्ट्रीय विकलांगता वर्ष घोषित करते हुए विकलांग जनों की शिक्षा पर अधिक ध्यान देना प्रारंभ किया 1986 1993 को विकलांग जन दशक घोषित करते हुए इन वर्षों में विकलांग जनों को अधिक से अधिक शैक्षणिक सुविधाएं देने का प्रयास किया गया 1986 में आई नई शिक्षा नीति में भी उन बालकों को शामिल किया गया। निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा जो 14 साल तक के गंभीर बच्चों के लिए थी उसे विकलांगता की गंभीर स्थिति को देखते हुए 16 वर्ष कर दिया गया विशेष शिक्षकों को इस तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसके माध्यम से रहे दृष्टिबाधित के साथ अन्य विकलांगता वाले बालकों को भी शिक्षित प्रशिक्षित कर सके एक राष्ट्रीय संस्थान इसके अतिरिक्त बहू विकलांग बालकों के लिए n.i.e.p.m.d. ( national institute for the empowerment of person with multiple disabilies) की स्थापना चेन्नई में की गई यहां बहू विकलांग बालकों की शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें रोजगार परक प्रशिक्षण भी दिया जाता है विकलांग बालकों को भारत सरकार ssa, pied, iedc जैसी योजना का संचालन कर रही है।
बहु विकलांग बालकों की गंभीर समस्या को देखते हुए मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा की व्यवस्था भी की गई है, इस व्यवस्था के अंतर्गत शिक्षार्थी अधिकतर अपने घर बैठे ही पत्राचार अन्य संपर्क संसाधनों जैसे— रेडियो टेलीविजन आदि की सहायता से पढ़ सकते हैं। सामान्य शिक्षा व्यवस्था में ऐसी अनेक बाधाएं हैं जो विकलांग बालक के द्वारा शिक्षा ग्रहण करने में अपनी नकारात्मक भूमिका निभाते हैं इस स्थिति में कुछ विशेष संस्थाओं का चयन किया गया है इन्हीं वंचितों की शिक्षार्थ विशेष संस्थाओं का नाम दिया गया संक्षेप में इन्हें SAI ED कहा जाता है।
SAIED ( SPECIAL ACCREDITED INSTITUTION FOR EDUCATION OF THE DISAVANTAGED ) — इन विशेष संस्थाओं में सभी ऐसे पाठ्यक्रम का चुनाव किया जाता है जो कि वंचित वर्ग के लिए अधिक उपयोगी हो सके। इनके अतिरिक्त CBR कार्यक्रम संचालित करना जो बहु विकलांगता पर आधारित है। बहु विकलांग बच्चों को सिखाने के लिए निम्न दक्षता कौशल विकसित करने की आवश्यकता होती है। मूर्त तथा अमूर्त अधिगम और प्रत्ययों के समझने में कठिनाई होती है जिससे इन बालकों का शिक्षण प्रभावित होता है अतः किसी भी योजना तथा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि इन तत्वों पर ध्यान दिया जाए—
विशेष अध्यापकों का किसी एक ही विद्या में प्रशिक्षित होना वह विकलांग बालकों की शिक्षा में नकारात्मक भूमिका निभाता है।
अधिकांश विकलांगता ग्रामीण क्षेत्रों में ही पाई जाती है जहां मूलभूत आवश्यकताएं जैसे— स्वास्थ्य एवं शिक्षा ही उपलब्ध नहीं हो पाते वहां बहू विकलांग बालकों की
शिक्षा एक गंभीर चुनौती है।
शहरी क्षेत्रों में संस्थान उपलब्ध होने के कारण बहुत से विकलांग बालक पहुंच नहीं पाते हैं।
बहु विकलांग बालकों की शिक्षा का निम्न स्तर
0-6 वर्ष की महत्वपूर्ण आयु में बालक केंद्र तक पहुंचने पाते जिसका कारण माता-पिता की परिस्थितियों या जागरूकता में कमी।
CBR— COMMUNITY BASED REHABILITATION
SSA— SARVA SHIKSHA ABHIYAN
NTA— NATIONAL TRUST ACT
PIED— PROJECT OF INTEGRATED EDUCATION DISABLE
IEDC— INTEGRATED EDUCATION OF THE DISABLE CHILDREN