Paper:- introduction to disability
Unit- 2.5
Deaf & blindness and multiple Disabilities
Multiple Disabilities ( बहु- विकलांगता ) :- बहु विकलांगता का तात्पर्य दो या दो से - अधिक विकलांगता का होना है। बहु विकलांगता न तो संक्रामक है और न ही आनुवांशिक है । जिस प्रकार अन्य विकलांगताए जन्मजात, जन्म के समय अथवा जन्म के बाद होती है उसी प्रकार बहु विकलांगता भी होती है कभी-कभी मानसिक मंद बच्चे 15 से 20 वर्ष की अवधि में अल्प दृष्टि बाधित होते हैं। इस स्थिति में उन्हें मानसिक विकलांग ना कहकर बहुविकलांगता की संज्ञा दी जाती है।
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जब किसी व्यक्ति में दो या दो से अधिक प्रकार की विकलांगता एक साथ पाई जाती है तो उस स्थिति को बहु विकलांगता कहते हैं तथा उस व्यक्ति को बहु विकलांग व्यक्ति कहा जाता है।
बहु विकलांगता की परिभाषा :-
NTA 1999 के अनुसार : यदि किसी व्यक्ति की प्रमाणित विकलांगता के साथ दूसरी विकलांगता है तो उस व्यक्ति को बहु विकलांगता वाला व्यक्ति कहा जाएगा। दो या दो से अधिक विकलांगता के समायोजन को बहुविकलांगता कहते हैं।"
बहु विकलांगता के प्रकार :--
एक से अधिक विकलांगता से ग्रसित व्यक्ति को ही बहु विकलांग कहते हैं। यह प्रायः निम्नलिखित प्रकार की हो सकती है।.
1. श्रवण अक्षम एवं दृष्टिबाधित
2. दृष्टिबाधित, श्रवण अक्षम एवं मानसिक मंदता
3. दृष्टिबाधित एवं मानसिक मंदता
4. प्रमस्तिष्क पक्षाघात एवं मानसिक मंदता
5. दृष्टिबाधित, श्रवण अक्षम एवं गामक अक्षमता
बहु विकलांगता के लक्षण :-
1. बहु विकलांगता में बच्चों की शारीरिक विकास की प्रक्रिया धीमी होती है, जैसे-गर्दन नियंत्रण, बैठना, घुटने के बल चलना, खड़ा होना आदि।
2. शौच नियंत्रण का अभाव होता है।
3. कुछ बच्चों को निगलने चबाने हाथ के उपयोग इत्यादि कौशल में अक्षमता होती है।
4. वे आसानी से देखने सुनने स्पर्श गंध स्वाद को नहीं समझते हैं।
5. स्पष्ट रूप से अपनी भावनाओं, विचारों एवं आवश्यकताओं को व्यक्त नहीं कर सकते हैं।
6. नये कौशलों को नहीं सीख पाते हैं, जिसे दूसरों को करते देखते हैं।
7. सीखने में धीमे अथवा अक्षम होते हैं।
8. कुछ बहु-विकलाग बच्चे ऐसे भी होते हैं जो अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं और समस्या उत्पन्न करते हैं। जैसे सामान फेंकना, स्वयं को चोट पहुंचाना, दूसरों को चोट पहुंचाना आदि
9. कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो किसी भी घटना को बहुत ही अल्प समय तक याद रखते हैं।
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Deaf & Blindness (बधिरांधता) - यदि किसी व्यक्ति की संयुक्त दृष्टि एवं श्रवण क्षति उसके संप्रेषण, सूचना की सुगमता तथा आवागमन में कठिनाई पैदा करती है, तो उस व्यक्ति को बधिरान्ध कहा जाता है। किसी व्यक्ति को बधिराध घोषित करने के लिए जरूरी नहीं होता कि वह पूर्णता बधिर एवं पूर्णता दृष्टिहीन हो, बल्कि बहुत से बधिराध व्यक्तियों में आशिक दृष्टि अथवा श्रवण क्षमता पाई जाती है। बधिरांधता को प्रायः द्विसंवेदी क्षति भी कहा जाता है।
बधिरांधता से सभी उम्र के लोग प्रभावित होते हैं, जिनमें अधिक उम्र के लोग ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।
बधिराधता विशेषकर दो स्थितियों में होती हैं जन्मजात एवं अर्जित । कुछ लोग बिना श्रवण एवं दृष्टि की योग्यता के पैदा होते हैं तथा वे दूसरी संवेदी क्षमता बाद में खो देते हैं।
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परिभाषा ( Definition ) -
यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन (2004) के अनुसार - "बधिरांधता का मतलब सहवर्तित श्रवण वा दृष्टि अक्षमता से है, जिसके एक साथ होने से ऐसी संप्रेषण तथा अन्य विकासात्मक एवं शैक्षिक जरूरतें गंभीर रूप से प्रभावित हो जाती हैं कि वे ना तो बधिर बच्चों के विशेष शिक्षा कार्यक्रम के साथ और न ही दृष्टिहीन बच्चों के विशेष शिक्षा कार्यक्रम के साथ पूरी तरह समायोजित किए जा सकते हैं।"
अलवेल ग्राहम एवं गोएट्स (1994) के अनुसार - "बधिरांधता एक शिक्षार्थी के दो से तीन प्रमुख संवेदनाओं (दृष्टि, श्रवण एवं गंध) को प्रभावित करती है। ऐसे में यह आवश्यकता पैदा करता है कि वह रण से सूचनाओं को इकट्ठा करने के लिए प्रभावित संवेदनाओं (स्वाद, स्पर्श, गति) का उपयोग करें।"
Individual with disabilities Education Act ( IDEA ) के अनुसार :-"शब्द बधिरांधता सहित बच्चे एवं युवा का अर्थ श्रवण एवं दृष्टि अक्षमता
का होना है, जो संयुक्त रूप से गंभीर संप्रेषण तथा अन्य विकासात्मक एवं अधिगम आवश्यकताएं पैदा करती है कि उन्हें श्रवण अक्षम, दृष्टि अक्षम अथवा गंभीर अक्षमता से ग्रसित बच्चों के साथ उपयुक्त तरीके से विशेष शिक्षा नहीं प्रदान की जा सकती, जब तक की दो सहकारी अक्षमताओं से संबंधित शैक्षिक जरूरतों हेतु सहयोग नहीं प्रदान किया जाता है।"
बधिरांधता के शीघ्र संकेत (Early Signs of DeafBlindness) :-
यह बहुत सोता है, कम रोता है, अपनी भुजाओं एवं पैरों को ज्यादा नहीं हिलाता। यह माता-पिता अथवा अन्य लोगों से नजर बहुत कम मिलाता है।
वह अपनी उम्र के अनुसार आवाज नहीं करता, वस्तुएं नहीं पकड़ता, स्वतः नहीं बैठता, खड़े होने का प्रयास नहीं करता। वह वस्तुओं के पास नहीं पहुंचता और ना ही उसकी तरफ आगे बढ़ता है।
वह तेज आवाजों एवं ध्वनियों की प्रतिक्रिया नहीं करता।