Definition and principles of curriculum पाठ्यक्रम की परिभाषा एवं सिद्धांत

Paper 6

CURRICULAR STRATEGIES AND ADAPTATIONS FOR 

CHILDREN WITH HEARING IMPAIRMENT


 1.1 

Definition and principles of curriculum
पाठ्यक्रम की परिभाषा एवं सिद्धांत


Types of curriculum — child centered, subject - centered horizontal, vertical, spiral



✷ Introduction :- पाठ्यक्रम एक विस्तृत शब्द है जो की हमारी पूरी शिक्षा व्यवस्था का आधार है। पाठ्यक्रम को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का आत्मा और हृदय दोनो माना जाता है।

पाठ्यक्रम को अंग्रेजी में curriculm कहते हैं। Curriculum शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के curreren शब्द से हुई है जिसका अर्थ है Race course या runway जिस प्रकार से एक runner runway पर दौड़कर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करता है। उसी तरह से शिक्षक पाठ्यक्रम की सहायता से अपने शैक्षिक लक्ष्यों को प्राप्त करता है।


✷ Definition:- 

According to cunningham— 

Curriculum is the tool in the hands of an artist to mold his material according to his ideas in his studies

उपरोक्त definition में शिक्षक को artist, student को material, विद्यालय को studio माना गया है।


According to farlex—

Curriculum is the all course of study offered by an educational institution.


According to webster — curriculum is the set of process constructing in area of speculation 


According to dictionary of education 1981 — पाठ्यक्रम से तात्पर्य उन सभी क्रियाओं व विचारों से हैं जोकि बच्चों में शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करते हुए ऐच्छिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शैक्षिक संस्थाओं द्वारा विकसित किया जाता है।

कुछ लोग पाठ्यक्रम ( curriculum) और syllabus को एक ही मानते हैं लेकिन दोनों में पर्याप्त अंतर है। Curriculum एक wider concept है। जो कि अपने अंदर करिकुलम सिलेबस को भी शामिल करता है।

Syllabus से तात्पर्य उस summary से हैं जिसमें यह निर्धारित होता है कि किसी विषय के तहत किन topic किन units को पढ़ाना है जबकि curriculum से तात्पर्य उस over all content से होता है जो कि educational system में या course में study किया जाता है।

Curriculum= syllabus+ all learning experience

पाठ्यक्रम का निर्माण N. C. F. ( National curriculum framwork) 2005 के guidlines के अनुसार N.C.E.R.T. centre level पर और s.c.e.r.t state level पर पाठ्यक्रम निर्माण के लिए responsible होते हैं चुकी पाठ्यक्रम ही वह माध्यम है जिसके द्वारा शैक्षिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जाता है इसलिए यह आवश्यक है कि पाठ्यक्रम का निर्माण सावधानी पूर्वक किया जाए । पाठ्यक्रम निर्माण के दौरान पाठ्यक्रम के निर्माण के सिद्धांतो का पालन करना चाहिए।


✷ principles of curriculum development —

पाठ्यक्रम निर्माण के प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार है:-

1. ) Principle of forward looking — शिक्षा का उद्देश्यों बच्चों को भविष्य और आने वाले जीवन के लिए तैयार करना होता है चुकी आज के बच्चे ही कल के नागरिक होगे । इसलिए हमारा पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए जो कि समय की मांग के अनुसार हो क्योंकि समय के साथ - साथ technology advancement development, socio - economic status, tradition and culture के साथ adjust करने के लिए यह curriculum ऐसा हो जो कि बच्चों में general skill विकसित करें जिससे वे आगे बढ़ सके। यानी कि पाठ्यक्रम इस तरह होना चाहिए जो कि वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की जरूरतों के अनुरूप हो।


2) principal off child centeredness — शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करना होता है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है की बच्चे को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए उसकी वर्तमान आवश्यकताओं व इच्छाओं को दबा दिया जाए। पाठ्यक्रम का निर्माण करते समय यह आवश्यक है कि बच्चों के interest, like dis like abilities, और disabilities को ध्यान में रखकर ही पाठ्यक्रम का निर्माण करना चाहिए जिससे बच्चे बिना किसी दबाव के शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा कर सके।


3) principal of individual difference — किसी भी कक्षा में अलग-अलग आवश्यकता, योग्यता और ऊंची वाले बच्चे होते हैं। यह सभी तरह के बच्चे teaching learning process में activity involve हो सके इसके लिए आवश्यक है कि पाठ्यक्रम का निर्माण करते समय व्यक्तिगत विभिन्नताओं के सिद्धांतों का पालन किया जाए। जिससे सभी बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके।


4) principal off commission and omission — वर्तमान समय में i.c.t. ( information and communication technology ) के कारण पूरा विश्व एक विश्वग्राम बन गया है। जिसके कारण ज्ञान व सूचनाओं में अपार वृद्धि हुई है। इन सभी सूचनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करना संभव नहीं है इसलिए यह आवश्यक है कि महत्वपूर्ण व उपयोगी विषय - वस्तु को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए और जो विषय वस्तु अनुपयोगी हो गई हो उन्हें पाठ्यक्रम से हटाया जाए जिससे बच्चों पर अतिरिक्त भार न पड़े। इसके लिए पाठ्यक्रम का निर्माण करते समय commission and omission सिद्धांत का सहारा लिया जाता है। 

5) principal of Conservation — जैसा कि हम सब जानते है कि कोई भी देश present में रहते हुए, भूत से सीखते हुए भवैष्य का नींव तैयार करता है। हम अपने अनुभवों से सीख सके इसके लिए आवश्यक है कि हम अपने भूतकाल के अनुभवों को संरक्षित रखें इसे ही संरक्षण का सिद्धांत कहते हैं। संरक्षण के सिद्धांत के कारण ही हम अपने पूर्वजों अपने रीति-रिवाजों अपनी परंपराओं अपने मां नेताओं को जान पाते हैं।


6) principal of activity — कक्षा के प्रत्येक छात्र की सीखने की विधि और सीखने की गति अलग-अलग होती है। कोई देख कर सीखता है, कोई सुन कर सीखता है, कोई करके सीखता है। ऐसा माना जाता है कि जो चीजें हम कर के सीखते हैं वह ज्ञान स्थाई परवर्ती का होता है इसीलिए पाठ्यक्रम को क्रिया आधारित बनाने पर जोर दिया जाता है। क्रिया आधारित पाठ्यक्रम होने पर बच्चे का ज्ञान स्थाई प्रवृति का होने के साथ - साथ शारीरिक विकास को भी बढ़ावा मिलता है ।


7) principal of relevance — भारत एक भौगोलिक विविधता वाला देश है। लोगों की मान्यताएं और परंपराएं अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग है इसलिए हम common rigid curriculum नहीं बना सकते। पाठ्यक्रम का निर्माण करते समय subject, methology, learning experience, expected outcome भौगोलिक परिस्थितियों और स्थानीय मान्यताओं के अनुरूप होना चाहिए।


8) principal of organisation — संगठन के सिद्धांत से तात्पर्य पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों और उनके विषय वस्तु किस क्रम में सयोजित किया जाए ( adjust) पाठ्यक्रम child centered होना चाहिए और उसके विषय वस्तु को इस तरह से व्यवस्थित करना चाहिए कि एक विषय का दूसरे विषय और एक पाठ का दूसरे पाठ से कुछ न कुछ को relation अवश्य हों। पाठ्यक्रम का विषयवस्तु बच्चो की योग्यता व आवश्यकता के साथ - साथ board based proporly balanced होना चाहिए।


9) principle of utility — शिक्षा का उद्देश्य न केवल बच्चे का विकास करना होता है बल्कि उसे इस योग्य बनाना भी होता है कि वह अपने परिवार , समाज व देश के विकास में activity involve हो और अपने role को सही से play करें। इसलिए हमारा पाठ्यक्रम इस तरह होना चाहिए जो बच्चे को अलग अलग चुनौतियों का सामना करने योग्य बनाए। Principal of utility बच्चों को विभिन्न चुनौतियों का सामना करने योग्य बनाती है।



TYPES OF CURRICULUM

पाठ्यक्रम को अलग - अलग आधारों पर बांटा गया है।


Types of curriculum 


1 based on center point of focus — child centered curriculum, subject centered curriculum 

2. Based on co-relation — horizontal, vertical, spiral

3. Based on requirements — entented , core 

4. Based on Documentation— overt, covert 

5. Based on educational system — normal, inclusive, UDC ( universal of curriculum 


1) based on center point of focus — 

इस आधार पर पाठ्यक्रम 2 प्रकार के होते हैं —

A. Child centered curriculum — इस प्रकार का पाठ्यक्रम बच्चों के individual needs , उनके interest, like, dislike, learning abilities के साथ साथ social emotional और mental development पर आधारित होता है। इन्ही के आधार पर पाठ्यक्रम के subject matter, activities और learning experience organise किये जाते हैं। इस तरह का पाठ्यक्रम शिक्षा में educational psychology और child psychology के सिद्धांतों का पालन करने पर जोर देता है। Child centered curriculum के द्वारा teaching learning process को burden बनाने के बजाय enjoable activity बनाने पर जोर दिया जाता है। जिससे teaching learning process में students का participation maximum हो सके।


B) subject centered curriculum — इससे अध्यापक आधारित पाठ्यक्रम भी कहते हैं। इस तरह का पाठ्यक्रम बच्चों की रुचि क्षमता और आवश्यकता के बजाए विशेष संबंधित ज्ञान पर फोकस किया जाता है। इस तरह के पाठ्यक्रम का उद्देश्य बच्चे को विषय वस्तु से संबंधित अधिक से अधिक ज्ञान देना होता है।


* Difference between child centre and subject center curriculum

 A. Child center curriculum — 

यह लचीला होता है।

यह education में two way traffic की तरह कार्य करता है।

यह all round development पर जोर देता है

यह develop करना costly होता है।

इसमें student centre point of focus होते हैं ।

* Subject standard curriculum —

यह rigid होता है।

यह शिक्षा में one way traffic की तरह कार्य करता है।

यह intellectual development पर जोर देता है।

इसमें विषय संबंधी ज्ञान centre point of focus होता है


2) best on co-relation — इस आधार पर पाठ्यक्रम तीन प्रकार के होते हैं-


A. Horizontal curriculum — इसे internal co-relation भी कहते हैं। इस तरह का पाठ्यक्रम में किसी भी विषय के विभिन्न पाठ या इकाई के मध्य co-relation establish किया जाता है।

जैसे जब हम बच्चे को भाषा शिक्षण कर रहे हो तो हमें भाषा के पाठ्यक्रम से संबंधित विभिन्न पहलुओं जैसे - poetry approach , composition, story, grammar आदि का co-related manner से पढ़ना चाहिए।

B) vertical curriculum — इसे external co-relation curriculum भी कहते हैं। इसके तहत किसी का शिक्षण करते समय उसे दूसरे विषय के साथ जोड़कर ज्ञान दिया जाता है। जैसे - जब हम बच्चों को इतिहास के विषय में पड़ा रहे हो तो उसे हम इतिहास के साथ-साथ भूगोल, अर्थशास्त्र के साथ co-relate कर सकते हैं।

Vertical correlation curriculum ने प्रभावी शिक्षण के लिए आवश्यक है कि शिक्षक को अपने विशेष ज्ञान के साथ-साथ दूसरे विषय का ज्ञान हो।

C) spiral curriculum — इस पाठ्यक्रम का concept aiiar ने दिया था । इसमें किसी एक विषय को centre point of focus मैं रखा जाता है उसी को आधार बनाकर दूसरे विषयों का शिक्षण किया जाता है। भारत में महात्मा गांधी ने इस तरह के पाठ्यक्रम को सपोर्ट किया। उन्होंने बेसिक एजुकेशन में क्राफ्ट को आधार माना जिससे छात्र स्वाबलंबी हो सके।

लेकिन सही से लागू न होने की वजह से यह सफल नहीं हो पाया।


3) best on requirement — इस आधार पर पाठ्यक्रम दो प्रकारों में बांटा गया है-


A) extended curriculum — इससे तात्पर्य ऐसे पाठ्यक्रम से है जोकि किसी क्षेत्र विशेष में विशेष योग्यता के लिए आवश्यक होता है। जैसे डिप्लोमा के अलग-अलग stream में को common paper होते हैं जैसे disability, education, psychology उन्हें core curriculum का हिस्सा माना जाता है जबकि ded hi के लिए audilogy fundamental of speech.

B) core curriculum — इससे  तात्पर्य किसी भी course of study के उससे content से हैं जिसका अध्ययन सबके लिए अनिवार्य होता है। इस प्रकार के पाठ्यक्रम का उद्देश्य अधिगमकर्ता में minimum level of learning सुनिश्चित करना होता है। 


4) based on documentation — इस प्रकार के पाठ्यक्रम दो प्रकार के होते हैं 


A) overt curriculum — इसे written curriculum भी करते हैं। इस प्रकार के पाठ्यक्रम में पहले से ही यह सुनिश्चित होता है की course of study क्या होगा। 

B) covert curriculum — इसे hidden या unwritten curriculum भी कहते हैं। इसका उद्देश्य बच्चों में अच्छी आदतें नैतिक विकास करने के लिए किया जाता है। 


5) based on education system — इस आधार पर पाठ्यक्रम तीन प्रकार के होते हैं 


A) normal curriculum — ऐसा पाठ्यक्रम जो सामान्य बच्चों और उसके अधिगम योग्यता को ध्यान में रखकर किया जाता है उसे सामान्य normal curriculum कहते हैं। 

B) inclusive curriculum — ऐसा पाठ्यक्रम जो कि सभी तरह के बच्चों ( सामान्य तथा विशेष ) शैक्षिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। उसे inclusive curriculum करते हैं।

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