Definition, categories (Benchmark Disabilities) & the legal provisions for PWDs in India

Introduction to Disability 


 1.3 Definition, categories (Benchmark Disabilities) & the legal provisions for PWDs in India 
भारतीय पुनर्वास परिषद (RCI)

विकलांगों के लिए 1981 को अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया । तभी से भारत सरकार विकलांगों के पुनर्वास पर पूरा - ध्यान केंद्रित कर रही है। प्रशिक्षित मानव संसाधनों की कमी के कारण देश में पुनर्वास सेवाओं का अपेक्षित विस्तार नहीं हुआ। इस चित्र में कुछ संस्थाएं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन तो कर रही थी पर ना तो इनके पाठ्यक्रमों में कोई समानता थी ना ही परस्पर संयोजन विकलांगता के क्षेत्र में चल रहे वर्तमान प्रशिक्षण कार्यक्रम संभवत एकांकी तथा इन पाठ्यक्रमों का एक मानक पूर्व स्नातक, | स्नातकोत्तर स्तर पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के शिक्षण पाठ्यक्रमों में समरूपता का अभाव था। इन कमियों को ध्यान में रखकर कार्यक्रम को बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार ने 6 मई 1986 को भारतीय पुनर्वास परिषद के गठन का निर्णय लिया। जिसके दायित्व निम्नलिखित हैं।

> प्रशिक्षण नीति एवं कार्यक्रम बनाना ECIAL EDUCATION

निशक्तता के क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यवसायिको के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के मानवीकरण का

प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संचालित करने वाली संस्थाओं को मान्यता देना।

पुनर्वास व्यवसाई को का केंद्रीय पुनर्वास पंजिका में पंजीकृत कर उसका रखरखाव करना ।

पुनर्वास एवं विशेष शिक्षा के अनुसंधान को बढ़ावा देना ।

परिषद को वैधानिक अधिकार देने तथा उसके कार्यों को प्रभावी ढंग से संपादित करने के लिए 1991 में संसद में प्रस्तुत किया गया, जिसे भारत के राष्ट्रपति ने 1 दिसंबर 1992 को मंजूरी दी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय एक विधेयक भारत सरकार ने अधिनियम के रूप में 22 जून 1993 को इसकी अधिसूचना जारी की। इसे भारतीय पुनर्वास परिषद 1992 के नाम से जाना जाता है।

इस प्रकार भारतीय पुनर्वास परिषद 1986 में एक पंजीकृत संस्था के रूप में आई जिसे 22 जून 1993 में वैधानिक निकाय का दर्जा T प्राप्त हुआ।

विकलांगों के पुनर्वास एवं शिक्षा प्रशिक्षण के क्षेत्र में भारतीय पुनर्वास परिषद दुनिया में अपनी तरह की अकेली संस्था हैं ।

इसका मुख्य उद्देश्य विकलांगों के जीवन चक्र की आवश्यकताओं को पूरा करना है जो इस प्रकार हैं :-

कार्य करना ।

शारीरिक चिकित्सा एवं पुनर्वास

> शैक्षिक पुनर्वास

> व्यवसायिक पुनर्वास

> सामाजिक पुनर्वास

भारतीय पुनर्वास परिषद:- भारतीय पुनर्वास परिषद का मुख्य उद्देश्य निशक्त का क्षेत्र में आवश्यकता के अनुरूप मानव संसाधनों का विकास करना है इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु भारतीय पुनर्वास परिषद निम्नलिखित कार्य करती है।

निशक्त जनों के पुनर्वास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं नीतियों को सुनियोजित करना ।

भारतीय पुनर्वास परिषद एक उच्च स्तरीय प्रशिक्षण पाठ्यचर्या संचालित एवं विकलांगों के साथ कार्यरत लोगों के लिए

पुनर्वास के क्षेत्र में व्यवसायीकरण करना ।

निशक्त व्यक्तियों से संबंधित विभिन्न प्रकार के व्यवसायिकों को शिक्षा प्रशिक्षण के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करना ।

इन मानको को देश भर के सभी प्रशिक्षण संस्थान में सामान्य रूप से नियमित करना ।

निशक्तजन मृत्यु के पुनर्वास के क्षेत्र में डिग्री / डिप्लोमा / परास्नातक डिप्लोमा / सर्टिफिकेट) प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम चलाने वाले

संस्थानों विश्व विद्यालयों को मान्यता प्राप्त करना और जहां मानक के अनुरूप कार्य हो रहा है वहां मान्यता रद्द करना ।

विश्वविद्यालयध्स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा परस्पर आधार पर प्रदान की गई डिग्री / डिप्लोमा / सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम को मान्यता

प्रदान करना।

केंद्रीय स्तर पर पुनर्वास के क्षेत्र में मान्यता प्राप्त व्यक्तियों का लेखा-जोखा रखना तथा उन्हें देश भर के किसी भी भाग में

कार्य करने की मान्यता देना। उन संस्थानों से सहयोग और सामान्य से रखना तथा उन्हें प्रोत्साहित करना जो निशक्त जनों के पुनर्वास में सतत शिक्षा प्रदान कर रही है।

भारतीय पुनर्वास परिषद को पुनर्वास शिक्षा में शोध करने का उत्तरदायित्व भी है। भारतीय पुनर्वास परिषद पुनर्वास के क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम अथवा विभिन्न प्रकार की विकलांगता के क्षेत्र में स्वतः पाठ्यक्रमों का संचालन नहीं करती है। इसके अंतर्गत मान्यता प्राप्त संस्थाएं शिक्षण तथा प्रशिक्षण द्वारा पुनर्वास के क्षेत्र में मानव संसाधनों का विकास कर रही है। यह विभिन्न प्रकार की कार्यशालाओं, सम्मेलनों के माध्यम से क्रमबद्ध रूप से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुनर्वास के क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों/ व्यवसायिको के ज्ञान और कौशल में वृद्धि करने का कार्य करती है।

निशक्तजन (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 Person with Disability (Equal opportunity, Full participation Protection of rights Act – 1995 निशक्तजन अधिनियम एशिया और प्रशांत क्षेत्र संबंधी आर्थिक और सामाजिक आयोग द्वारा निशक्त व्यक्तियों की एशियाई और प्रशांत क्षेत्र शताब्दी 1993-2002 को आरंभ करने के लिए 1 दिसंबर से 5 दिसंबर 1992 को पेंइचिंग में बुलाए गए अधिवेशन में एशियाई और प्रशांत क्षेत्र में निशक्त व्यक्तियों की पूर्ण भागीदारी और समानता संबंधी उद्घोषणा को अंगीकृत करने के पश्चात अस्तित्व में आया ।

संसद के दोनों सदनों द्वारा लोकसभा में 12 दिसंबर 1995 और राज्यसभा में 22 दिसंबर 1995 को पारित हुआ। यह अधिनियम 7 फरवरी 1996 को लागू किया गया। इस अधिनियम में 14 अध्याय हैं।

1. प्रारंभिक प्रारंभिक अध्याय में मुख्यता विकलांगता ओं के प्रकारों और उनकी परिभाषा ऊपर चर्चा किया गया है। इसके साथ ही साथ इस अध्याय में निशक्तजन के नियोजन, पुनर्वास, रोजगार, संबंधी संप्रत्यय की व्याख्या की गई है। यह अधिनियम सात प्रकार की विकलांगता ओं को दर्शाता है।

>> दृष्टिबाधित

>> अल्प दृष्टि

>> कुष्ठ रोग

>> श्रवण बाधित

>> चलन निशक्तता

>> मानसिक मंदता

>> मानसिक रुग्णता

इन सातों प्रकार की विकलांगता ओं को अध्याय में परिभाषित भी किया गया है

2. केंद्रीय समन्वय समिति :- दूसरे अध्याय में मुख्यता बताया गया है कि केंद्र सरकार एक केंद्रीय समन्वय समिति का गठन करेगी जो इस अधिनियम के अंतर्गत दी गई शक्तियों की सहायता से अधिनियम की शर्तो प्रावधानों का पालन करने का कार्य करेगी। इस समिति का गठन निम्न सदस्यों को मिलाकर किया जाएगा।

केंद्रीय सरकार के कल्याण विभाग का मंत्री इस समिति का पदेन अध्यक्ष होगा एवं केंद्रीय सरकार के कल्याण विभाग का राज्यमंत्री उपाध्यक्ष ।

इस समिति में कुल 23 सदस्य होते हैं और कार्यकारी समिति हर तीसरे माह बैठक आयोजित करती हैं इसमें से पांच व्यक्ति निशक्तता से ग्रसित होते हैं।

3.राज्य समन्वय समिति :- अधिनियम के अनुसार प्रत्येक राज्य एक राज्य समन्वय समिति का गठन करेगा। जो इस कानून के तहत अधिकारों के अनुसार कार्य करती है। राज्य के समाज कल्याण मंत्री, विकलांग कल्याण मंत्री इस समिति के अध्यक्ष होंगे। इस समिति की बैठक 6 महीने पर होती है। जिसमें गतिविधियों के क्रियान्वयन पर विचार किया ता है।

4. निशक्तता का निर्धारण एवं शीघ्र हस्तक्षेप निशक्त जन अधिकार अधिनियम के इस अध्याय में बताया गया है कि निशक्तता कि :- शीघ्र पहचान एवं निवारण हेतु सरकारी अपने पास उपलब्ध संसाधनों के अनुसार निम्न कृतियों को कर सकती है।

>विकलांगता होने के कारणों से संबंध रखने वाले सर्वेक्षण और अनुसंधान का दायित्व |

> विकलांगता के रोकथाम के विभिन्न तरीकों को प्रोत्साहित करना ।

> प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के कर्मचारियों को प्रशिक्षित क करना ।

>निशक्तता के निवारण हेतु जन जागरण के कार्यक्रमों का संचालन करना ।

>जनता को सामाजिक कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी, बालवाड़ी, कार्यकत्रियों के माध्यम से विकलांगता के प्रति जागरूक करना ।

>निशक्तता के निवारण हेतु किए जाने वाले उपायों को प्रिंट मीडिया, रेडियो, टेलीविजन के माध्यम से जनसाधारण तक

> स्वास्थ्य सुरक्षा, साफ सफाई के प्रति जन जागरण कार्यक्रमों का आयोजन करना ।

5. शिक्षा (Education) केंद्र तथा राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित कराना होगा कि हर अक्षम बच्चे को 18 वर्ष की उम्र तक मुफ्त और समुचित शिक्षा मिले । अक्षम छात्रों को सामान्य विद्यालयों के साथ जोड़ें और जिन्हें विशेष शिक्षा की जरूरत है। सरकारी तथा निजी क्षेत्रों में विद्यालयों में अक्षम बच्चों के लिए व्यवसाय प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएं।

सरकार अक्षम बच्चों को परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराएगी । तथा अक्षम बच्चों को छात्रवृत्ति देगी । अक्षम बच्चों के हित को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम में आवश्यक बदलाव करेगी।

6. रोजगार (Employment ) सरकार ऐसे पदों की पहचान करेगी । जो अक्षमता से ग्रसित व्यक्तियों के लिए आरक्षित किए जा सकते हैं । आरक्षण 3: से कम नहीं होगा। क्षमताओं में से प्रत्येक के लिए 1: होगा । दृष्टिहीन श्रवण बाधित, शारीरिक विकलांगता सरकारी कार्यालयों में अक्षमता से ग्रसित व्यक्तियों के लिए पदों को चिन्हित करेगी।

7. सकारात्मक कार्यवाही :- :- सरकारी निशक्त जनों की सहायता हेतु सहायक यंत्र एवं अन्य साधन जो इन्हें आत्मनिर्भर बनाने में सहायक हो । भवन निर्माण, व्यवसाय, विशेष विद्यालयों, और मनोरंजन आदि को स्थापित करेगी और अक्षम व्यक्तियों को रियायती दरों पर भूमि आवंटित करने की योजना बनाएगी ।

8. विभेद ना किया जाना सरकारी परिवहन सुविधाओं एवं व्यवस्थाओं का आकलन करने के लिए विशेष उपाय अपनाएगी । :- जिससे की अक्षम बालक स्वतंत्र पूर्वक सरकारी परिवहन में आ जा सके। रेल के डिब्बे, बस जल मानो वायुयानो को इस तरह से बनाया जाए कि वह आसानी से उन तक पहुंच सके।

> दृष्टिहीन या अल्प दृष्टि वाले व्यक्तियों के लिए जेबरा क्रॉसिंग की व्यवस्था करना।

> रैंप का निर्माण ।

> सार्वजनिक स्थानों पर लिफ्ट एवं ब्रेल प्रतीकों की व्यवस्था करना।

9. अनुसंधान एवं मानव संसाधन विकास निशक्तता के क्षेत्र में अनुसंधान एवं कार्यक्रम संचालित किए जाने की नितांत आवश्यकता है। इसके अंतर्गत फैक्ट्रियों एवं कार्यालयों में निशक्तता से ग्रसित बच्चों के लिए अनुकूलन संरचनात्मक विशेषताओं के विकास के लिए अनुसंधान कार्य करेंगे। सरकार द्वारा सहायक उपकरणों का विकास रोजगार कार्यक्रम की पहचान कार्यालय में सुधार करने हेतु अनुसंधान किए जाएंगे। साथ ही साथ सरकार द्वारा विद्यालयों एवं अन्य विश्वविद्यालयों, व्यवसाय दिलाने वाली संस्थाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करेंगी। जिससे यह संगठन विशेष शिक्षा पुनर्वास तथा मानव संसाधन विकास पर अनुसंधान कर सके ।

10. निशक्त व्यक्तियों के लिए संस्थाओं को मान्यता :- ऐसे व्यक्ति या संस्थाए जो अक्षम व्यक्ति के लिए कार्यरत हैं । उनको इस विधेयक के अंतर्गत आवेदन करना होगा। यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के प्रारंभ होने के ठीक पूर्व से निशक्त जनों हेतु संस्था का संचालन कर रहा है तो अधिनियम के प्रारंभ होने से 6 माह तक का संचालन चालू रख सकता है । औरइस छह माह की अवधि में संस्था द्वारा पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु आवेदन कर दिया जाता है। तो आवेदन पर निर्णय लेने तक संस्था का संचालन चालू रखा जा सकता है।

11. गंभीर रूप से निशक्त व्यक्तियों हेतु संस्था :- निशक्तजन अधिनियम में यह बताया गया है कि प्रत्येक सरकार गंभीर रूप से निशक्त व्यक्तियों हेतु संस्थाओं का संचालन कर सकती है। यदि कोई संस्था पूर्व से ही गंभीर रूप से निशक्तता से ग्रसित व्यक्तियों हेतु कार्य कर रही है तो राज्य सरकार उसे इस अधिनियम के अंतर्गत मान्यता प्रदान कर सकती है । सामान्यता इस अधिनियम के अंतर्गत उन्हें संस्थाओं को मान्यता प्रदान की जाएगी जो अधिनियम नियम व शर्तों का पूर्णतः पालन करेगी ।

12. निशक्त व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त एवं आयुक्त :- केंद्र सरकार को विधेयक लागू करने के लिए एक मुख्य आयुक्त को नियुक्त करना होगा। मुख्य आयुक्त एकाधिक आयुक्तों के में समन्वय स्थापित करेगा। केंद्र सरकार द्वारा किए गए फन्ड के उपयोग को जांचेगा । राज्य स्तर पर आयुक्तों की भी समान जिम्मेदारी होगी। जो निशक्त व्यक्तियों के कल्याण और अधिकार की रक्षा करने के लिए सरकार द्वारा निर्गत कानूनों, निर्देशों को लागू न होने से संबंधित शिकायतों को सुनेंगे।

13. सामाजिक सुरक्षा :- इस अधिनियम के अंतर्गत सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी सरकारें अपने पास उपलब्ध संसाधनों के आधार पर विकलांग व्यक्ति हेतु कार्य करने वाली गैर सरकारी संस्थाओं एवं संगठनों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करा सकती है। निशक्त जनों हेतु बीमा योजना का संचालन ऐसे निशक्तजन जो विशेष रोजगार कार्यक्रमों में 2 वर्ष की अवधि से अधिक समय से पंजीकृत हैं। एवं उन्हें अभी तक रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है उनके लिए बेरोजगारी भत्ता की व्यवस्था की जाएगी।

14. अन्य :- इस अधिनियम के अंतर्गत निशक्त जनों हेतु उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग यदि कोई व्यक्ति छल पूर्वक करता है । या उपभोग करने का प्रयास करता है तो उसे 2 वर्ष का कारावास व 20,000 तक के जुर्माने का प्रावधान है ऐसे कानून को लागू करने के लिए मुख्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 21 के अंतर्गत लोक सेवक समझा जाएगा अधिनियम के उपबंधुओं को कार्यान्वित करने के लिए अधिसूचना जारी कर आवश्यकता अनुसार नियम बना सकती है।

RPWD ACT -आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 - पीडब्ल्यूडी एक्ट 1995 के स्थान पर Rpwd act 2016 लाया गया। आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 में पीडब्ल्यूडी एक्ट 1995 में मौजूदा विकलांगता के 7 प्रकारों से बढ़कर 21 प्रकार कर दिए गए और साथ ही यह भी सुनिश्चित कर दिया गया कि केंद्र सरकार के पास और विकलांगता के प्रकार जोड़ने की शक्ति भी होगी। आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016
वर्ष 2016 में संसद के द्वारा पारित कर दिया गया, जिसको लागू 15 जून 2017 से किया गया। इस आर पीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 में पीडब्ल्यूडी एक्ट 1995 की जगह ली ।

आरपीडब्ल्यूडी 2016 में 21 विकलांगताओं का वर्णन है।

1. अंधापन

2. कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति

3. कम दृष्टि

4. लोकोमोटर विकलांगता
5. बौद्धिक विकलांगता

6. मस्कुलर विकलांगता

7. बेसिक सीखने की क्षमता

8. भाषण और भाषा विकलांगता (स्व)

9. हीमोफीलिया

10. बहरापन

11. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार
12. सुनवाई हानि

13. बौनापन

14. मानसिक बीमारी

15. सेरेब्रल बीमारी

16. जीर्ण तंत्रिका संबंधी बीमारी

17 मल्टीपल स्क्लेरोसिस

18. थैलेसीमिया

19. सिकलसेल रोग

20. एसिड अटैक लोग

21. पार्किंसंस रोग

Res के लिए

आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 में पहली बार भाषण और भाषा विकलांगता को जोड़ा गया है, इसमें एसिड अटैक को भी शामिल किया गया है। तथा बीमारी थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, सिकलसेल रोग भी पहली बार शामिल किए गए हैं। आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 में सरकार के पास यह अधिकार है, कि वह अन्य किसी विकलांगता को इस सूची में शामिल कर सकेंगे।

उपर्युक्त सरकारों पर जिम्मेदारी भी डाली गई है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विकलांग व्यक्ति दूसरों के साथ समान रूप से अधिकारों का आनंद ले सकें।
इस एक्ट के तहत उच्च शिक्षा सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा भूमि के आवंटन में भी आरक्षण होगा गरीबी उन्मूलन योजना का लाभ होगा।
आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 के अंतर्गत 6 से 18 वर्ष की आयु के बीच बेंचमार्क विकलांगता वाले प्रत्येक बच्चों को मुफ्त शिक्षा अधिकार दिया जाएगा ।

प्रधानमंत्री सुलभ भारत अभियान को मजबूत करने के लिए निर्धारित समय सीमा में सरकारी भवनों में पहुंचे सुलभ की जाएगी। बेंचमार्क विकलांगता वाले जो भी व्यक्ति होंगे उनके लिए सरकारी संस्थानों में रिक्तियों का आरक्षण 3 से बढ़ाकर 4: किया

जाएगा।

आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 में जिला न्यायालय द्वारा संरक्षकता प्रदान करने के प्रावधान है।
विकलांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त के कार्यालय को मजबूत भी किया जाएगा जिन्हें अब दो आयुक्तों और एक सलाहकार समिति द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।

आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 में विकलांग राज्य आयुक्तों के कार्यालयों को मजबूती प्रदान की जाएगी, जिन्हें एक सलाहकार समिति द्वारा सहायता भी प्रदान की जाएगी।

आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 के अंतर्गत विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के लिए मुख्य आयुक्त और राज आयुक्त शिकायत निवारण एजेंसियों के रूप में कार्य करेंगे तथा अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी भी करेंगे।

आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम चिंताओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा जिला स्तरीय समितियों का गठन किया जाएगा और संविधान और ऐसी समितियों के कार्यों का विवरण नियम में राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 में विकलांग व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसके लिए राष्ट्रीय और राज्य कोष का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही ट्रस्ट फंड को राष्ट्रीय कोष के साथ सदस्यता भी दी जाएगी।

इस विधेयक में विकलांग व्यक्तियों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए दंड का प्रावधान होगा और कानून का उल्लंघन करने पर मजबूती से दंड का प्रावधान दिया जाएगा।

आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 अधिनियम का उल्लंघन करने से संबंधित मामलों के लिए सभी जिले में विशेष न्यायालयों को नामित किया जाएगा। डी एक्ट 2016 अधिनियम का परंतु रेत संबंधित के लिए लगी जिले में.

National Trust Act –1999 (राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999) राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा संचालित अधिनियम है। इसे राष्ट्रीय ( मानसिक मंदता, प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात, शालीनता एवं विकलांगता ग्रस्त का कल्याण) न्यास अधिनियम 1999 भी कहा जाता है इस अधिनियम के अंतर्गत उक्त चारों विकलांगता हेतु एक न्यास बनाने की बात कही गई है। यह अधिनियम 30 दिसंबर सन 1999 में महामहिम राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद लागू किया गया। इसमें कुल 9 अध्याय हैं।

1. प्रारंभिक :- विकलांगता से संबंध रखने वाले अन्य नियमों की तरह इस अधिनियम में भी प्रयुक्त विशेष शब्दों एवं शिक्षकों को परिभाषित किया गया है। इस अध्याय में न्यास के अध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा सदस्यों की नियुक्ति एवं चुनाव के साथ-साथ 4 विकलांग अदाओं को परिभाषित किया गया है। इनके अतिरिक्त इस अध्याय के अंतर्गत व्यवसायिक, पंजीकरण, न्यास तथा गंभीर विकलांगता इत्यादि को परिभाषित किया गया है।

2. राष्ट्रीय न्यास :- यह अध्याय स्वलीनता, मानसिक मंदता, प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात, एवं बहु विकलांगता हेतु राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के नाम से जाना जाता है। इस अध्याय में यह निर्देशित किया गया है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा एक समिति का गठन किया जाएगा जिसके लिए अध्यक्ष, सदस्य सचिव की नियुक्ति की जाएगी। न्यास का अध्यक्ष किसी ऐसे व्यक्ति को ही बनाया जाएगा जो मानसिक मंदता, स्वलीनता, प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात, विकलांगता के क्षेत्र में कार्य करने का पर्याप्त अनुभव रखता हो। न्यास के अध्यक्ष एवं सदस्य का कार्यकाल नियुक्ति तिथि से 3 वर्ष का होता है। न्यास के उद्देश्य एवं कार्यों के संचालन हेतु एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी जो संयुक्त सचिव स्तर का होगा। 
3. न्यास के लक्ष्य :- न्यास का मुख्य उद्देश्य निशक्त जनों को अधिकारों से पूर्ण एवं आत्मनिर्भर बनाना है। निशक्त जनों एवं उनके परिवार को सहायता प्रदान करके उन्हें मजबूती प्रदान करना। परिवार ही निशक्त व्यक्तियों की सहायता करना। जिन निशक्त व्यक्तियों के अभिभावक जीवित नहीं रहते उनके लिए अभिभावक की नियुक्ति करना। इसके साथ ही साथ निशक्त व्यक्तियों के लिए समान अवसर अधिकारों का संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी उपलब्ध कराना न्यास का मुख्य लक्ष्य है।

4. बोर्ड के अधिकार एवं कर्तव्य :- बोर्ड केंद्रीय सरकार से 100 करोड़ का सुरक्षित फंड अपने पास रखेंगा । उससे होने वाली आय को निशक्त व्यक्तियों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए खर्च करेगा। बोर्ड, न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति एवं न्यास में पंजीकृत संस्थाओं द्वारा न्यास के सहजन से चलाए जा रहे कार्यक्रमों को सुचारू रूप से चलाने के लिए किसी भी व्यक्ति से उसकी संपत्ति का वसीयतनामा या दान प्राप्त कर सकेगा। साथ ही केंद्रीय सरकार से प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अनुदान भी प्राप्त कर सकेगा।

बोर्ड केंद्रीय सरकार से उतनी ही राशि प्राप्त कर सकेगा जितनी अनुमोदित कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के लिए पंजीकृत संगठनों को वित्तीय सहायता के लिए प्रत्येक वित्तीय वर्ष में आवश्यक समझी जाए।

5. पंजीकरण की प्रक्रिया :- निशक्त जनों के पुनर्वास के क्षेत्र में कार्य करने वाला कोई संगठन, निशक्त व्यक्तियों की समिति, अभिभावक संगठन या कोई स्वयंसेवी संगठन जिसका मुख्य उद्देश्य निशक्त व्यक्तियों के कल्याण का सम्वर्धन करना हो, पंजीकरण के लिए उचित रीति, मध्यम एवं आवेदन शुल्क, आवश्यक दस्तावेजों के साथ न्यास द्वारा निर्धारित पटल पर आवेदन कर सकता है। आवेदन प्राप्त होने पर न्यास संगठन के द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचनाओं का सत्यापन कराकर यह निर्णय लेगा की संगठन का पंजीकरण किया जाएगा या नहीं, आवेदन को निरस्त करने का पूर्ण अधिकार न्यास के पास सुरक्षित रहेगा। और आवेदन निरस्त होने की दशा में न्याय द्वारा आवेदन की समस्त त्रुटियों को बताएगा। संगठन चाहे तो उन त्रुटियों को निस्तारण कर पुनः आवेदन कर सकता है।

6. स्थानीय स्तर की समितियां :- अधिनियम के अनुसार प्रत्येक जिला स्तर पर एक स्थानीय समिति का गठन किया जाएगा जिसमें अध्यक्ष जिला अधिकार या आयुक्त से कम का ना हो। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय न्यास के तहत पंजीकृत किसी भी संस्था का प्रमुख या प्रतिनिधि एक निशक्त व्यक्ति सदस्य के रूप में सम्मिलित किया जाएगा। समिति का कार्यकाल 3 वर्ष का होगा । यह समिति निशक्त व्यक्तियों हेतु अभिभावकों के लिए आवेदन प्राप्त करेगी इसके अतिरिक्त न्यास में पंजीकृत कोई भी संस्था इस कार्य के लिए आवेदन कर सकती है।

7. जवाबदेही और परिवेक्षण - बोर्ड के पास उपलब्ध पुस्तक एवं दस्तावेज किसी भी पंजीकृत संस्था के अवलोकन हेतु सदैव उपलब्ध :- रहेंगे । कोई भी संस्था न्यास के पास उपलब्ध पुस्तक एवं अन्य दस्तावेजों की प्रति हेतु लिखित रूप से आवेदन कर सकती है। न्यास के लिए नियम बना सकती है।न्यास ऐसी संस्था या संगठन जो इस अधिनियम के उप बंधुओं के तहत पंजीकृत है एवं न्यास द्वारा वित्तीय सहायता को प्राप्त करके निशक्त जनों के कल्याण कार्यक्रमों का संचालन कर रहा है इसके समस्त वी नियमों का निरीक्षण एवं उसका सत्यापन करेगा। न्यास प्रत्येक वर्ष पंजीकृत संगठनों का एक अधिवेश बुलाएगा।  

8. वित्त लेखा और संपरीक्षा :- न्यास द्वारा जो भी अनुदान प्राप्त किया गया हो, उसे न्यास के प्रशासनिक कार्यों एवं स्वयं द्वारा संचालित कार्यक्रमों के संचालन हेतु प्रयोग में ला सकता है। न्यास वार्षिक बजट को बनाकर पूर्व निर्धारित समय से केंद्रीय सरकार के पास भेज सकता है ताकि उसे संसद में प्रस्तुत किया जा सके, न्यास अपने समस्त वार्षिक आय-व्यय की एक आख्या बनाएगा एवं इसी सरकार के पास भेजेगा। साथ ही साथ इस आख्या को भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक से समय-समय पर सत्यापित कर आएगा।

9. अन्य :-

> निर्देश जारी करने की केंद्र सरकार की शक्ति

> बोर्ड का अतिक्रमण करने की केंद्र सरकार की शक्ति ।

> आय पर कर से छूट

> सद्भावना से की गई कार्यवाही के लिए सुरक्षा

> नियम बनाने की शक्ति
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