Factors Responsible for slow learning धीमी गति से सीखने के लिए उत्तरदायी कारण

Factors Responsible for slow learning
(धीमी गति से सीखने के लिए उत्तरदायी कारण) 


कक्षा में बहुत से विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो शैक्षिक उपलब्धियों में अन्य विद्यार्थियों से पीछे रहते हैं, किंतु केवल कक्षा में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने से ही कोई छात्र धीमी गति से सीखने वाले वर्ग में नहीं आता है। इसलिए जब तक मानकीकृत परीक्षण के परिणामों का अच्छी तरह से अध्ययन किया जाए तब तक किसी बालक को धीमी गति से सीखने वाला बालक नहीं कहा जाता।

Cyril burt , schonell आदि विद्वानों ने अपने शोधों और उनके परिणामों के आधार पर यह बताया कि धीमी गति से सीखने अथवा पिछड़ेपन के लिए दृष्टि वाधा के सात अन्य कारक भी उत्तरदायी है, जिन्हे निम्न भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है ।
शारीरिक कारक
मानसिक कारक
संवेगात्मक कारक
वातावरणीय कारक

शारीरिक कारक —
सामान्य से कम शारीरिक विकास।
शारीरिक दोष।
बीमारियां।
कुपोषण।

मानसिक या बौद्धिक कारक— 
बालक की निम्न बुद्धि लब्धि।
दोषपूर्ण मस्तिष्क क्रिया।

संवेगात्मक कारक— 

बड़ा परिवार
गरीबी
विघटित परिवार
अति महत्वकांक्षी माता-पिता।
निवास स्थान का बार-बार बदलना।
परिवार का नैतिक वातावरण।
पास— पड़ोस का वातावरण ।


वातावरणीय कारक— 

विद्यालय का वातावरण
दोषपूर्ण शिक्षण विधियां।
लगातार असफलता।
अनुपयुक्त पाठ्यक्रम
अप्रशिक्षित अध्यापक ।
दोषपूर्ण परीक्षा पद्धति ।
 रोजगार संबंधी सुरक्षा। 
पारिवारिक कलह।

शारीरिक कारक— 

सामान्य से कम शारीरिक विकास— धीमी गति से सीखने वाले बालकों का शारीरिक विकास सामान्य बालकों की तुलना में कम होता है तथा इनके विकास की गति धीमी होती है।
 शारीरिक दोष— विभिन्न प्रकार के शारीरिक दोष जैसे— पैरों का टेढ़ा होना, अंगों का समुचित विकास ना होना आदि ऐसे शारीरिक दोष है जो धीमी गति से सीखने वाले कारको मैं अपनी नकारात्मक भूमिका निभाते हैं।
कुपोषण— ऐसी बालक जिन्हे अपनी प्रारंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिल पता है, वह कुपोषण से ग्रसित हो जाते हैं अतः बालक विभिन्न प्रकार की शारीरिक क्रियाओं में सामंजस्य नहीं कर पाते हैं, जो कि उनके सीखने की गति को प्रभावित करते हैं। 

मानसिक या बौद्धिक कारक— 

1. बालक की निम्न बुद्धि लब्धी (iQ) — कुछ बालक ऐसे होते हैं जिनकी शारीरिक आयु तो अधिक होती है किंतु उनके सोचने विचारने की क्षमता अ
अर्थात् मानसिक आयु शारीरिक आयु की अपेक्षा कम होती है जिसके कारण उनकी सीखने की गति बहुत ही धीमी होती है।

2. दोषपूर्ण मस्तिष्क क्रिया— ऐसे बालक जिनके अंदर सही ( उचित) एवं शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता का अभाव होता है उन बालकों की मस्तिष्क क्रिया दोषपूर्ण मानी जाती है, जो सीखने के मार्ग में बाधक होती है।

संवेगात्मक कारक—

गरीबी — गरीबी के कारण जब बालकों को उचित साधन एवं संसाधन उपलब्ध नहीं होते हैं तब बालकों में एक ऐसी धारणा का विकास होता है की वे उपयुक्त तथा उचित साधनों के अभाव में कुछ भी सीख नहीं सकते है। गरीबी धीमी गति से सीखने के लिए एक उत्तरदायी कारण है।
विखंडित परिवार— कुछ घर परिवार ऐसे हैं जहां प्रत्येक दिन लड़ाई झगड़े होते रहते हैं और वह घर कलह का केंद्र बन जाता है इस स्थिति में बालकों में भावनात्मक असंतुलन उत्पन्न होता है जो धीमी गति से सीखने में अपनी नकारात्मक भूमिका निभाता है।
 अति महत्वाकांक्षी माता-पिता — अधिकतर माता-पिता ऐसे होते हैं जो अपने बच्चों से बहुत अधिक आशा करते हैं उनकी ऐसी धारणा होती है की हर परिस्थिति में उनका बालक कुछ ना कुछ सीखता रहे। अतः इस स्थिति में बालकों में तनाव याद चिड़चिड़ापन पनपने लगता है जोकि उनके सीखने के मार्ग में बाधक होता है।
 निवास स्थान का बार-बार बदलना— कुछ माता-पिता या परिवार कैसे होते हैं जो समय समय पर अपना निवास स्थान बदलते रहते हैं इस परिस्थिति में एक छोटा बालक भिन्न भिन्न प्रकार के माहौल को देखता है अतः वह सभी प्रकार के नियमों को जानने में भ्रमित होता रहता है जो बालकों के सीखने की गति को बाधित करती है।

वातावरणीय कारक

विद्यालय का वातावरण— विद्यालय का वातावरण ऐसा होना चाहिए जो हर परिस्थिति में बालकों को सीखने के लिए प्रेरित करें। जब यह विद्यालयी वातावरण दोषपूर्ण तथा असंतुलित हो जाता है तब बालकों में सीखने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
दोषपूर्ण शिक्षण विधियां— शिक्षण विधियों का निर्धारण बालकों की आयु एवं बुद्धि लब्धि को ध्यान में रखते हुए किया जाता है एक कम आयु वाले बच्चे के लिए बहुत जटिल शिक्षण विधियों का प्रयोग भ्रामक हो सकता है जो उसके सीखने के मार्ग में बाधक साबित होता है ।
अनुप्रयुक्त पाठ्यक्रम — पाठ्यक्रम बालकों की सामाजिक तार्किक तथा भौतिक परिस्थितियों पर आधारित होना चाहिए। पाठ्यक्रम का प्रारूप ऐसा रखा जाए जिससे बालकों का संपूर्ण विकास हो सके उपयुक्त पाठ्यक्रम के अभाव में बालक पाठ्यवस्तु का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते हैं, अतः अनुपयुक्त पाठ्यक्रम धीमी गति से सीखने वाले बालकों के लिए एक उत्तरदायि कारक होता है
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