MANAGEMENT OF SLOW LEARNING VISUALLY IMPAIRED CHILDREN ( MANING AND CHARACTERISTIC अर्थ और विशेषताएं )

MANAGEMENT OF SLOW LEARNING VISUALLY IMPAIRED CHILDREN

2.1 MANING AND CHARACTERISTIC 
( अर्थ और विशेषताएं ) 

धीमी गति से सीखने वाले बालक प्राय: प्रत्येक कक्षा में देखने को मिलते हैं धीमी गति से सीखने वाले बालकों तथा पीछे रहे जाने वाले बालकों को पिछड़ा बालक भी कहा जाता है सामान्यतः इन बालकों को विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की श्रेणी में नहीं रखा जाता फिर भी इनकी आवश्यकताओ को समझने हुए उन्हें कक्षा स्तर पर लाना अध्यापकों के लिए एक चुनौती है इनमें सीखने की योग्यता होने के बावजूद भी ये अपनी आयु की अपेक्षा धीरे तथा कम गहनता से सीखते हैं। 
किसी भी नये प्रत्यय को सीखने में इन्हें ज्यादा समय तथा कई बार अधिक साधनों की आवश्यकता पड़ती है।
बार्टन हाल के अनुसार — सामान्यत:: पिछड़ेपन शब्द का प्रयोग उन बालकों के लिए किया जाता है जिनकी शैक्षिक उपलब्धि उनकी स्वाभाविक योग्यताओं के स्तर से कम होती है। 

According to schonell — पिछड़ा हुआ छात्र वह है जो अपनी आयु के अन्य छात्रों की तुलना में उल्लेखनीय शैक्षणिक कमजोरी का प्रदर्शन करता है।" 

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बच्चों की बुद्धि लब्धि ( iq) यदि 90 से 70 के अंदर हो तो उन्हें कम धीमी गति से सीखने वाले बच्चों की श्रेणी में भी रख सकते हैं। कुपोषण, गरीबी अथवा परिवार में अशिक्षा के कारण बच्चों में सीखने के प्रति रुचि का अभाव तथा सीखने में धीमापन आ जाता है।

विशेषताएं — 

शारीरिक विशेषताएं — पेशी असंतुलन में कमी, प्रतिक्रिया करने का अधिक समय, वाणी दोष आदि।
मानसिक विशेषताएं — चिंतन तथा तर्क क्षमता का अभाव, किसी बात अथवा समस्या पर ध्यान देना। 
 सामाजिक विशेषताएं — अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तुलना में इनका सामाजिक समायोजन निम्न कोटि का होता है। 
 नैतिक विशेषताएं— इन बच्चों को कक्षा के अन्य बालक मित्र के नाते स्वीकार नहीं करते इनकी आलोचना करते हैं परिणाम स्वरूप इनमें अनैतिक भावनाएं जन्म लेती है

लक्षण —

किसी कार्य को पूरा करने मे औसतन दृष्टिबाधित बच्चों के मुकाबले ज्यादा समय लगता है
व्यक्तिगत ध्यान देने के बावजूद भी छात्र का कक्षा कार्य में अच्छा परिणाम न ला सकना। 
इनमें विकास की देरी, किसी बीमारी का इतिहास जैसे दौरा पड़ना आदि का होना।
बच्चे का शब्द भंडार कम होना अथवा बोलने में चतुर होना लेकिन लिखने में कमजोर होना।
उसी विभिन्न बातों को बार-बार बताया जाना।
अति शीघ्र आवेश में आ जाना, भावात्मक रूप से उग्र हो जाना।
समायोजित आचरण करना।
अपने लिए कोई सार्थक लक्ष्य निर्धारित ना कर पाना।
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