Teaching communication skills – verbal and non-verbal संप्रेषण कौशल शिक्षण : मौखिक और अमौखिक

 Unit 5.2 

Teaching communication skills – verbal and non-verbal
( संप्रेषण कौशल शिक्षण : मौखिक और अमौखिक ) 


जब दो या दो से अधिक व्यक्ति आपस में सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं तो उसे संप्रेषण कहते हैं। किंतु संप्रेषण का अर्थ केवल एक दूसरे से बातचीत करना ही नहीं है, बल्कि दूसरे व्यक्ति तक पहुंचना और दूसरे से किसी भी माध्यम से जानकारी प्राप्त करना है।



According to Sadar land - 

" संप्रेषण में भाषा, बोलना तो था सुनना शामिल होता है, और इसलिए संप्रेषण बाधित को इन तीनों क्षेत्रों में संबंधित किसी बाधित के रूप में देखा जा सकता है।" 


बधिरांधता बालकों के लिए सबसे प्रमुख समस्या संप्रेषण की होती है। अतः उन्हें संप्रेषण कौशल का शिक्षण दिया जाना आवश्यक है। हमारा अधिकांश संप्रेषण मौखिक अथवा अमौखिक होता है। और बधिरांध व्यक्ति को इस प्रकार के कौशल में अनेक बाधाओं का सामना करना होता है।

 Verbal communication

भाषा का मौखिक रूप वाणी है जो मनुष्य के लिए संप्रेषण करने का मुख्य साधन है। इसकी सहायता से हम अपने विचारों को बोलकर व्यक्त करते हैं। वर्तमान में मौखिक संप्रेषण के अनेक साधन है जैसे- कविता संगीत समाचार टेलीफोन आदि।


Non verbal communication

संप्रेषण का एक रूप मौखिक संप्रेषण भी है, जिसमें भाषा लिखित रूप ले लेती है। लिखित शब्द स्थाई होते हैं। बधिरांध बालकों के लिए अमौखिक संप्रेषण के लिए सांकेतिक भाषा जैसे- हथेली पर प्रिंट , मैनुअल अल्फाबेट, सांकेतिक भाषा का प्रयोग किया जाता है।


मौखिक तथा अमौखिक तकनीकी — 


1. हथेली पर प्रिंट — इस तरीके में बधिरांध व्यक्ति की हथेली पर एक के बाद एक अक्षर बनाए जाते हैं, यह अंग्रेजी के बड़े अक्षर होते हैं, जिन्हें जितना संभव हो उतनी ही कम stok के साथ बनाया जाता है ।

2. संकेत भाषा — संकेत भाषा दृश्य अथवा स्पर्शजन्य हो सकती है। स्पर्शजन्य संकेतों में संकेत प्राप्त करने वाले का हाथ संकेत देने वाले के हाथ से हल्का सा स्पर्श कर रहा होता है। संकेत भाषा का प्रयोग करते समय दूरी, गति, जटिलता, प्रकाश को बधिरांध व्यक्तियों की आवश्यकताओं के अनुसार निर्धारित करना आवश्यक है ।

3. ब्रेल तथा लार्ज प्रिंट — दृष्टिबाधित व्यक्तियों के साथ समानबधिरांध व्यक्ति भी ब्रेल लिपि का पठन और लेखन कर सकता है इसके लिए ब्रेल संबंधी दक्षताओं को प्राप्त करना आवश्यक है । बधिरांध व्यक्ति को ब्रेल शिक्षण विधि में व्यक्ति को मौखिक संप्रेषण के स्थान पर स्पर्शीय संकेतों का प्रयोग करना होता है और लगभग 4 चरणों में विभक्त कर देते यदि बालक के पास कुछ मात्रा में दृष्टि शेष है तो उसे बड़े छापे की ही पुस्तकें दी जा सकती है।   

4. टाडोमा विधि — टाडोमा बधिरांध व्यक्तियों द्वारा उपयोग किया जाने वाला संचार का एक माध्यम है। टाडोमा होंठों को स्पर्श से पढ़ता है। इसमें बधिरांध व्यक्ति अपने अंगूठे को स्पीकर के होठों पर और अपनी अंगुलियों जबड़ों पर इस प्रकार रखता है कि वे वक्ता के गालों और गले को छु रही हो । इससे वह बोलचाल के कंपन को तथा होठों के पैटर्न को महसूस कर सकता है इसे tactile lip reading कहते हैं। क्योंकि बधिरांध व्यक्ति को होंठों की आवाजाही, साथ ही साथ गलों के फूलने और नाक की आवाज जैसे N और M तरह की आवाजें महसूस करता रहे । टाडोमा पद्धति का आविष्कार 1920 के दशक में अमेरिकी शिक्षक सोफी अल्कोर्न द्वारा किया गया और Perkins school for the blind में विकसित हुआ। इसे सर्वप्रथम विन्थ्रप 'टैड' चैपमेन और ओमा सिम्पसन को सिखाया गया था और इन्हीं के आधार पर इसका नाम रखा गया था। टाडोमा पद्धति के लिए अत्यधिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, इसके लिए अच्छी स्पर्शजन्य भेद कुशलता तथा ज्ञानात्मक कुशलता की आवश्यकता होती हैं।

5. अमेरिकन मैनुअल अल्फाबेट — मैनुअल वर्णमाला एक हाथ के मैनुअल वर्णमाला पर आधारित है, जोकि बहुत सेबधिरांध व्यक्तियों द्वारा उपयोग किया जाता है।

                                                   मैनुअल वर्णमाला एकबधिरांध व्यक्ति के हाथों पर शब्दों को स्पेलिंग करने की एक विधि है, इसमें प्रत्येक अक्षर को एक विशिष्ट संकेत या हाथ पर जगह से चिन्हित किया जाता है। यह जानने के लिए सीधा है, लेकिन प्राप्त करने के लिए अधिक जटिल है।



Definition of communication

According to ylin and Smith — 

संप्रेषण एक ऐसी गतिशील प्रक्रिया है जिसका प्रयोग व्यक्ति बोलने, लिखने, इशारों अथवा संकेत भाषा के माध्यम से विचारों का आदान प्रदान करने , अनुभव बताने एवं इच्छाएं व्यक्त करने के लिए करता है।

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