Unit-2.2 दृष्टि अक्षमता :- अंधापन और कम दृष्टि (Visual impairment & blindness and low vision)
नेत्र:-
नेत्र मानव शरीर की एक प्रमुख ज्ञानेंद्रिय है जिसका कार्य किसी वस्तु को देखना है । यदि इसकी कार्यक्षमता - अवरुद्ध हो जाए या पूर्ण रूप से निष्क्रिय हो जाए तो मनुष्य दृष्टि जैसी प्राकृतिक उपहार से वंचित हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति अपने जीवन को निरर्थक समझने लगता है और अपने भाग्य को कोसता है । आज के वैज्ञानिक युग में तीव्र गति से प्रगति करते हुए मानव ने ऐसे साधन खोज निकाले हैं जिनके माध्यम से मनुष्य अपनी ज्ञानेंद्रियों की गतिशीलता एवं कार्य क्षमता अर्थात सुनने, सूंघने, स्वाद लेने और स्पर्श करने की शक्ति को बढ़ाकर जीवन को व्यवस्थित कर सकता है।
दृष्टिअक्षमता (Visual Impairment )-
जब कोई व्यक्ति चश्मा, कांटेक्ट लेंस, दवाओं के सेवन तथा ऑपरेशन के बावजूद भी सामान्य तरीके से नहीं देख सकता, तो उसे दृष्टि अक्षम कहा जाता है। दृष्टि अक्षमता को निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है।
अमेरिकन फाउंडेशन (1961) ने दृष्टि अक्षमता एवं अल्प दृष्टि को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है।
1. ऐसे बच्चे जिनकी दृष्टि समंजन क्षमता 20 / 200 हो, नेत्रहीन समझे जाते हैं। 2. ऐसे बच्चे जिंनकी दृष्टि समंजन क्षमता 20 / 70 तथा 20/200 के बीच हो, अल्प दृष्टि वाले होते हैं।
दृष्टिहीनता ( Blindness) - पूर्व काल से ही शारीरिक विकलांगता के क्षेत्र में सर्वाधिक सुखद रूप से दृष्टिहीनो को स्वीकारा जाता रहा है। परंतु उनका जीवन समाज में दया, सहानुभूति व भिक्षावृत्ति पर आश्रित रहा है । तथापि इतिहास में हमें सूरदास जैसे प्रख्यात भक्ति कवि दिये जो जन्मांध थे । आज के समय में चछुहीन विभिन्न औद्योगिक प्रशिक्षण ग्रहण करने के अतिरिक्त क्रिकेट व पैराशूट द्वारा वायुयान से कूदने जैसे अद्भुत प्रदर्शन करने लगे हैं। दृष्टिहीनता एक सफलतापूर्वक पहचानी जाने वाली अक्षमता है।
दृष्टिहीनता की परिभाषा ( Definition of Blindness) - दृष्टिहीनता को समय-समय पर अलग-अलग दृष्टिकोण से परिभाषित किया गया है। आयुर्विज्ञान में दृष्टिहीनता का तात्पर्य मित्रों से कुछ ना देख सकने की स्थिति है।
1. शैक्षिक दृष्टि से :- दृष्टिहीनता एक ऐसा दृष्टि विकार है जिसके परिणाम स्वरूप दृश्य सामग्री के प्रयोग से शिक्षा आंशिक रूप से भी संभव ना हो सके।"
2. चिकित्सकीय दृष्टि से :- चिकित्सकीय विधि से दृष्टिहीनता की परिभाषा दृष्टि तीक्ष्णता और देखने के क्षेत्र पर आधारित है जिसको दो प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है।
( क) दृष्टि तीक्ष्णता के आधार पर - • सभी प्रकार के उपाय करने के बाद व्यक्ति किसी वस्तु को 20 फीट की दूरी पर नहीं देख पाता। जबकि सामान्य व्यक्ति उस वस्तु को 200 फीट की दूरी पर देखता है तो उस व्यक्ति को दृष्टिहीन कहा जाता है । दृष्टि- तीक्ष्णता को 20 के रूप में लिखा जाता है। यह प्रदर्शित करता है की व्यक्ति वस्तु को कितनी दूरी तक देख सकता है।
(ख). देखने के क्षेत्र के आधार पर :- दृष्टि विकृति व्यक्ति के देखने के क्षेत्र का व्यास 20 अंश से अधिक नहीं होना के चाहिए तथा उनकी दृष्टि तीक्ष्णता 20/200 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
दृष्टिहीनता के लक्षण :-
1. नेत्र से रुक रुक कर लगातार पानी गिरना ।
2. नेत्र का लाल होना।
3. नेत्र की असामान्य गति ।
4. देखने में कठिनाई होना किसी वस्तु पर नजर ना टिकना ।
5. छोटी लिखावट पढ़ने में कठिनाई का अनुभव करना। छोटे चित्रों का अनुभव नहीं होना ।
6. सिर दर्द की शिकायत करना आंख में संक्रमण के शिकार करना ।