भारतीय संविधान का अनुच्छेद-168 के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमण्डल होगा जो राज्यपाल, विधानपरिषद् (कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, आन्ध्र प्रदेश,तेलंगाना) एवं विधानसभा से मिलकर बनेगा।
जिस राज्य में द्विसदनीय विधानमण्डल होगा उसमें एक का नाम विधानसभा जो निम्नसदन तथा दूसरे का नाम विधानपरिषद् जो उच्च सदन होगा तथा जहाँ केवल एक सदन है वहाँ उसका नाम विधानसभा होगा।
विधानपरिषद्
विधानपरिषद् का सृजन-
विधानपरिषद् के सृजन के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता नहीं होती है इसके लिए राज्य की विधानसभा में एक विशेष बहुमत द्वारा अर्थात् कुल सदस्य संख्या का बहुमत तथा उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों की संख्या का कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा संकल्प पारित करेगी जिसके अनुसरण में संसद अधिनियम बनाएगी।
वर्तमान में विधानपरिषद-
वर्तमान में 6 राज्यों में विधानपरिषदें हैं।
1. कर्नाटक
2. उत्तर प्रदेश
3. महाराष्ट्र
4. बिहार
5. आन्ध्र प्रदेश
6. तेलंगाना
विधानसभा एवं विधानपरिषद्-
विधानसभा एवं विधानपरिषद् राज्य विधानमण्डल का हिस्सा है। इनमे कुछ समानता और असमानता है जिनकोण निम्न प्रकार से समझ सकते है।
विधानसभा
विधानपरिषद्
प्रावधान अनुच्छेद-170 में
प्रावधान अनुच्छेद-171 में
अधिकतम सदस्य संख्या – 500
न्यूनतम सदस्य संख्या – 60
अपवाद सिक्किम (32), गोवा (40), मिजोरम (40)
अधिकतम संबंधित राज्य विधानसभा के कुल सदस्यों के एक तिहाई से ज्यादा नहीं, न्यूनतम सदस्य संख्या 40 होनी चाहिए।
अनुच्छेद-332 के तहत अनुसूचित जाति व जनजाति (SC व ST) के लिए आरक्षण का प्रावधान है।
विधानपरिषद् में आरक्षण का प्रावधान नहीं है।
सदस्यों का निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से होता है।
निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से होता है।
कार्यकाल 5 वर्ष होता है आपातकाल के दौरान कार्यकाल 1 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। आपातकाल की समाप्ति पर यह विस्तार 6 माह से अधिक नहीं होगा।
6 वर्ष किन्तु एक-तिहाई सदस्य प्रत्येक दो वर्ष में सेवानिवृत होते हैं।
सदस्यों को शपथ राज्यपाल या उनके द्वारा नियुक्त व्यक्ति द्वारा दिलाई जाती है।
सदस्यों को शपथ राज्यपाल या उनके द्वारा व्यक्ति द्वारा दिलाई जाती है।
गणपूर्ति के लिए 10 सदस्य या 1/10 सदस्य जो भी इससे अधिक हों।
इसमें 10 सदस्य या 1/10 सदस्य जो भी इससे अधिक हों।
अनुच्छेद-174(2) के तहत राज्यपाल विधानसभा को भंग कर सकता है।
स्थायी सदन जिसका विघटन नहीं किया जा सकता है।
सदस्यों के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए।
सदस्यों के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए।
इसमें पीठासीन अधिकारी अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष होते हैं। अध्यक्ष अपना त्यागपत्र उपाध्यक्ष को उपाध्यक्ष अपना त्यागपत्र अध्यक्ष को देता है।
इसमें पीठासीन अधिकारी सभापति एवं उपसभापति होते हैं संविधान में किसी पद का उल्लेख नहीं है।
विशेष शक्तियों में-
(i) विधानसभा का अध्यक्ष ही धन विधेयक का निर्धारण करता है।
(ii) विधानसभा के निर्वाचित सदस्य ही राष्ट्रपति व राज्यसभा के चुनाव में भाग लेते हैं।
(iii) विधानपरिषद् का अस्तित्व ही विधानसभा पर निर्भर है।
परिषद के पास कोई विशेष शक्ति नहीं है।
विधानमण्डल द्वारा पारित विधेयक जब राज्यपाल के समक्ष स्वीकृति के लिए भेजा जाता है तो राज्यपाल के पास चार विकल्प होते हैं। यह प्रावधान अनुच्छेद-200 में है।
(i) विधेयक को स्वीकृति प्रदान करें।
(ii) विधेयक को स्वीकृति देने से रोकें।
(iii) विधेयक को सदनों में पुनर्विचार के लिए भेजें
(iv) विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रख सकता है।
अगर विधेयक को पुनर्विचार के बाद राज्यपाल के पास भेजा जाता है तो राज्यपाल स्वीकृति के लिए बाध्य है।
note- विधेयकों के संबंध में साधारण विधेयक को विधानपरिषद् 3 माह तक रोक सकती है पुन: भेजे जाने पर अधिकतम 1 माह तक रोक सकती है। अत: एक विधेयक को विधानपरिषद अधिकतम 4 माह तक रोक सकती है।
राजस्थान विधानसभा
प्रथम चरण (1952-77) कांग्रेस प्रणाली (एक दलीय प्रभुत्व)
प्रथम विधानसभा
- प्रथम विधानसभा का गठन 23 फरवरी 1952 को हुआ तथा पहली बैठक 29 मार्च 1952 को हुई। इसमें टीकाराम पालीवाल पहले मुख्यमंत्री बने।
- नरोत्तम लाल जोशी को प्रथम विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया। लालसिंह शक्तावत को उपाध्यक्ष बनाया गया।
- राजस्थान विधानसभा की पहली महिला विधायक श्रीमती यशोदा देवी को बनाया गया था।
- राजस्थान विधानसभा की पहली महिला मंत्री कमला बेनीवाल को बनाया गया था।
द्वितीय विधानसभा – (1957-1962)
- मोहनलाल सुखाड़िया मुख्यमंत्री बने।
तृतीय विधानसभा – (1962-1967)
- मोहनलाल सुखाड़िया तीसरी बार मुख्यमंत्री बने।
चतुर्थ विधानसभा – (1967-1972)
- इस दौरान पहली बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया। जिस समय राज्यपाल संपूर्णानंद थे तथा राष्ट्रपति शासन के बाद सुखाड़िया के नेतृत्व में सरकार बनी। राज्य में राज्यमंत्री तथा संसदीय सचिव पद की व्यवस्था की गई। 1971 में सुखाड़िया ने त्याग पत्र दिया व बरकतुल्लाह खाँ मुख्यमंत्री बने।
पंचम विधानसभा – (1972-1977)
- राज्य में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
- इस विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष से ज्यादा था। अधिक कार्यकाल वाली यह एकमात्र विधानसभा थी।
षष्ठम̖ विधानसभा – (1977-80)
- भैरोसिंह शेखावत पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनाए गए।
- 1980 में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
- राज्य में पहली बार विधानसभा 5 वर्ष से पहले भंग कर दी गई।
सप्तम̖ विधानसभा (1980-1985)
- पहली बार मध्यावधि चुनाव हुए।
- इसमें जगन्नाथ पहाड़िया शिवचरण माथुर, हीरालाल देवपुरा मुख्यमंत्री पद पर रहे।
अष्ठम̖ विधानसभा (1985-1990)
- हरिदेव जोशी व शिवचरण माथुर दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
नवम̖ विधानसभा (1990-92)
- चौथी बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया उस समय राज्यपाल चेन्नारेड्डी थे।
- भैरोसिंह शेखावत दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
दसवीं विधानसभा (1993-1998)
- भैरोसिंह शेखावत तीसरी बार मुख्यमंत्री बने।
ग्यारहवीं विधानसभा (1998-2003)
- अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने।
बारहवीं विधानसभा (2003-2008)
- पहली बार इलेक्ट्रानिक मशीनों से मतदान हुआ।
- इसमें राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बनी।
तेरहवीं विधानसभा (2008-2013)
- अशोक गहलोत दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
चौदहवीं विधानसभा (2013-2018)
- वसुन्धरा राजे दूसरी बार मुख्यमंत्री बनी।
पन्द्रहवीं विधानसभा (2018 to)
- इसमें कांग्रेस को 107 निर्दलीय को 13, भारतीय जनता पार्टी को 72 सीटें मिली, RLP=3, माकपा-2
- इसमें महिला विधायकों की संख्या 25 है।
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष
विधानसभा
कार्यकाल
अध्यक्ष
प्रथम विधानसभा
फरवरी 1952 से 1957
नरोत्तम लाल जोशी
द्वितीय विधानसभा
1957-1962
रामनिवास मिर्धा (कांग्रेस)
तृतीय विधानसभा
1962-1967
रामनिवास मिर्धा (कांग्रेस)
चतुर्थ विधानसभा
1967-1972
निरंजननाथ आचार्य, 1967 में पहली बार राष्ट्रपति शासन, पहली बार त्रिशंकु विधानसभा (कांग्रेस)
पंचम̖ विधानसभा
1972-1977
रामकिशोर व्यास, 1977 आपातकाल, दूसरी बार राष्ट्रपति शासन (कांग्रेस)
षष्ठम̖ विधानसभा
1977-1980
(अ) लक्ष्मणसिंह
(ब) गोपालसिंह आहोर (जनता पार्टी), पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार एवं गैर कांग्रेसी अध्यक्ष, राज्य में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन
सप्तम̖ विधानसभा
1980-1985
पूनमचन्द्र विश्नोई
अष्ठम̖ विधानसभा
1985-1990
(अ) हीरालाल देवपुरा (कांग्रेस)
(ब) गिर्राज प्रसाद तिवाड़ी
नवम̖ विधानसभा
1990-1992
हरिशंकर भाभड़ा, चौथी बार राष्ट्रपति शासन (भाजपा)
दसवीं विधानसभा
1993-1998
(अ) हरिशंकर भाभड़ा (भाजपा)
(ब) शांतिलाल चपलोत
ग्यारहवीं विधानसभा
1998-2003
परसलाल मदेरणा (कांग्रेस)
बारहवीं विधानसभा
2003-2008
श्रीमती सुमित्रा सिंह, पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष (कांग्रेस)
तेरहवीं विधानसभा
2008-2013
दीपेन्द्रसिंह शेखावत (कांग्रेस)
चौदहवीं विधानसभा
2013-2018
कैलाश मेघवाल (भाजपा)
पन्द्रहवीं विधानसभा
दिसंबर, 2018 से
सी.पी. जोशी (कांग्रेस)
प्रमुख अनुच्छेद
अनुच्छेद
विषय वस्तु
सामान्य
168.
राज्यों में विधायिकाओं का गठन
169.
राज्यों में विधान परिषदों का गठन अथवा उन्मूलन
170.
विधान सभाओं को गठन
171.
विधान परिषदों का गठन
172.
राज्य विधायिकाओं का कार्यकाल
173.
राज्य विधायिका की सदस्यता के लिए योग्यता
174.
राज्य विधायिका के सत्र, सत्रावसान एवं उनका भंग होना
175.
राज्यपाल का सदन अथवा सदनों को संबोधित करने तथा उन्हें संदेश देने का अधिकार
176.
राज्यपाल द्वारा विशेष संबोधन
177.
सदनों से संबंधित मंत्रियों तथा महाधिवक्ता के अधिकार
राज्य विधायिका के पदाधिकारीगण
178.
विधान सभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष
179.
विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष के पदों से पदत्याग, त्यागपत्र तथा पद से हटाया जाना।
180.
उपाध्यक्ष अथवा अध्यक्ष का पदभार संभाल रहे व्यक्ति की शक्तियाँ
181.
अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष द्वारा उस समय सदन की अध्यक्षता से विरत रहना जबकि उन्हें हटाए जाने संबंधी प्रस्ताव सदन के विचाराधीन हो।
182.
विधान परिषद के सभापति एवं उप सभापति
183.
सभापति तथा उप सभापति के पदों के पदत्याग, त्यागपत्र तथा पद से हटाया जाना
184.
उप सभापति अथवा अन्य व्यक्ति जो कि सभापति का कार्यभार देख रहा हो, को सभापति के रूप में कार्य करने की शक्ति
185.
सभापति एवं उप-सभापति द्वारा उस समय सदन की अध्यक्षता से विरत रहना जबकि उन्हें हटाए जाने संबंधी प्रस्ताव सदन के विचाराधीन हो।
186.
विधानसभा अध्यक्ष तथा उपध्यक्ष और विधान परिषद सभापति और उपसभापति के वेतन एवं भत्ते
187.
राज्य विधायिका का सचिवालय
कार्यवाही का संचालन
188.
सदस्यों द्वारा शपथ ग्रहण
189.
सदन में मतदान, सदनों की रिक्तियों एवं कोरम का विचार किए बिना कार्य करने की शक्ति
सदस्यों की अयोग्यता
190.
सीटों का रिक्त होना
191.
सदस्यता के लिए अयोग्यता
192.
सदस्यों के लिए अयोग्यता संबंधी प्रश्नों पर निर्णय
193.
अनुच्छेद-188 के अंतर्गत शपथ ग्रहण के पहले स्थान ग्रहण और मतदान के लिए दंड अथवा उस स्थिती के लिए भी जबकि अर्हता नहीं हो अथवा अयोग्य ठहरा दिया गया हो
राज्य विधायिकाओं एवं सदस्यों की शक्तियाँ विशेषाधिकार तथा सुरक्षा
194.
विधायी सदनों तथा इनके सदस्यों एवं समितियों की शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार इत्यादि
195.
सदस्यों के वेत्तन-भत्ते
विधायी प्रक्रिया
196.
विधेयकों की प्रस्तुति एवं उन्हें पारित करने संबंधी प्रावधान
197.
विधान परिषद के वित्त विधेयकों के अतिरिक्त अन्य विधेयकों के संबंध में शक्तियों पर प्रतिबंध
198.
वित्त विधेयकों संबंधी विशेष प्रक्रिया
199.
वित्त विधेयक की परिभाषा
200.
विधेयकों की स्वीकृति
201.
बिल विचारार्थ सुरक्षित
वित्तीय मामलों संबंधी प्रक्रिया
202.
वार्षिक वित्तीय विवरण
203.
विधायिका में प्राक्कलनों से संबंधित प्रक्रिया
204.
विनियोग विधेयक
205.
पूरक, अतिरिक्त अथवा अतिरेक अनुदान
206.
लेखा, ऋण एवं असाधारण अनुदानों पर मतदान
207.
वित्त विधेयकों संबंधी विशेष प्रावधान
साधारण प्रक्रिया
208.
प्रक्रिया संबंधी नियम
209.
राज्य विधायिका में वित्तीय कार्यवाहियों से संबंधित प्रक्रियागत नियम
210.
विधायिका में प्रयोग की जाने वाली भाषा
211.
विधायिका में चर्चा पर प्रतिबंध
212.
न्यायालय द्वारा विधायिका की कार्यवाहियों के संबंध में पूछताछ नहीं
राज्यपाल की विधायी शक्तियाँ
213.
विधायिका की अवकाश अवधि में राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शक्ति
राजस्थान के मुख्यमंत्री जो बाद में विभिन्न राज्यों के राज्यपाल रहे-
मोहन लाल सुखाड़िया
कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु
हरिदेव जोशी
असम
जगन्नाथ पहाड़िया
बिहार, हरियाणा
शिवचरण माथुर
असम
राजस्थान में राष्ट्रपति शासन के समय राज्यपाल-
1967
डॉ. सम्पूर्णानन्द
1977
वेदपाल त्यागी (कार्यवाहक)
1980
रघुकुल तिलक
1992
एम. चेन्ना रेड्डी, धनिक लाल मण्डल (कार्यवाहक), बलिराम भगत
राष्ट्रपति शासन लगाते समय बर्खास्त मुख्यमंत्री-
1967
मोहन लाल सुखाड़िया (कार्यवाहक मुख्यमंत्री)
1977
हरिदेव जोशी
1980
भैरोंसिंह शेखावत
1992