Intellectual Disability - Intellectual Disabilities | बौद्धिक विकलांगता - बौद्धिक विकलांगता

Unit-3
Definition, Causes & Preventive measures, Types, Educational Implications, and Management of

Unit-3.1

Intellectual Disability - Intellectual Disabilities 

बौद्धिक विकलांगता - बौद्धिक विकलांगता


 Intellectual Disability - Intellectual Disabilities (बौद्धिक अक्षमता ) - मानसिक विकलांगता एक ऐसी अवस्था है जिसके कारण शारीरिक विकास की तुलना में मानसिक विकास अपेक्षाकृत कम होता है। इसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं ज्ञात एवं अज्ञात कारणों से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। उनमें विभाजन की क्रिया नहीं होती है। यह विकास की दशाओं एवं क्रियाओं को प्रभावित करती है। अतः मंदबुद्धि बच्चों में उन बच्चों की गणना करते हैं जिनका शरीर एवं मस्तिष्क तो समान होता है लेकिन किसी कारणवश मस्तिष्क के कुछ तंतु को हानि पहुंचने से कुछ विशेष भाग में विकास रुक जाता है। मानसिक रूप से दुर्बल बच्चे किसी भी काम को बहुत विलंब से सीखते हैं।

परिभाषा :- मेंटल डेफीसिएन्सी एक्ट 1927 के अनुसार - "मंदबुद्धि एक ऐसी अवस्था है जिसमें 18 वर्ष की आयु से पहले मानसिक

विकास रुक जाता है, पूर्ण रूप से मस्तिष्क विकसित नहीं हो पाता है, यह किसी वंशानुक्रम रोग से हो या किसी बीमारी से या सिर में चोट लगने से ।"

अमेरिकन एसोसिएशन ऑन मेंटल रिटार्डेशन (AAMR, 1983) के अनुसार मानसिक मंदता का तात्पर्य सामान्य बौद्धिक क्रियाशीलता के औसत स्तर में अर्थपूर्ण कमी से है जिसके परिणाम स्वरूप अनुकूलन व्यवहार में क्षति होती है और यह विकास की अवधि के दौरान अभिव्यक्त होता है। "

अमेरिकन एसोसिएशन ऑन मेंटल रिटार्डेशन (AAMR 2002 ) - मानसिक मंदता एक अक्षमता है जिसमें बुद्धि लब्धि एवं अनुकूल

व्यवहार दोनों सीमित हो जाते हैं, जो वैचारिक, सामाजिक तथा व्यवहारिक कौशलों में प्रदर्शित होते हैं। यह क्षमता 18 वर्ष की उम्र से पहले होती है।"


मानसिक मंद बच्चों में शारीरिक दृश्य एवं श्रव्य समस्याएं भी हो सकती हैं। यहां मस्तिष्क के के क्षतिग्रस्त स्थिति पर निर्भर करता है।

मस्तिष्क को को जितना अधिक नुकसान होगा उतना ही अधिक गंभीर मस्तिष्क एवं संबंधित सह- अक्षमता होने की संभावना रहती है।

मानसिकता से समायोजित कई अन्य क्षमता होती हैं, जैसे- डाउन सिंड्रोम, प्रमष्तिष्कीय पक्षाघात, स्वलीनता, इत्यादि ।


मानसिक मंदता का वर्गीकरण (Classification of Mental Retardation)

मानसिक मंदता को मुख्य तीन प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है।

1. चिकित्सकीय वर्गीकरण

2. मनोवैज्ञानिक वर्गीकरण

3. शैक्षणिक वर्गीकरण


1. चिकित्सकीय वर्गीकरण :- चिकित्सकीय लक्षणों एवं प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों के अनुसार मानसिक मंदता को निम्नलिखित भागों में बांटा गया है।

> संक्रमण एवं नशा

> मानसिक एवं शारीरिक कारक

> उपापचय एवं पोषण

> मानसिक रोग

> जन्म पूर्व अज्ञात कारक

> गुण सूत्रीय असमानता

> गर्भधारण संबंधी रोग

> मनोविकार

> पर्यावरणीय कारक

> अन्य कारक


2. मनोवैज्ञानिक वर्गीकरण :- मनोवैज्ञानिक वर्गीकरण के अंतर्गत मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के द्वारा व्यक्ति का आकलन कर उसका बौद्धिक स्तर ज्ञात किया जाता है। किसी भी व्यक्ति की बुद्धि लब्धि ज्ञात करने के लिए आकलन के उपरांत नीचे दिए गए सूत्र का प्रयोग किया जाता है।


                   मानसिक आयु

बुद्धि लब्धि =-———————X100

                   वास्तविक आयु


मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के द्वारा प्राप्त बुद्धि लब्धि के अनुसार मानसिक मंदता को निम्नलिखित पांच भागों में बांटा गया है :-

वर्ग श्रेणी.                            बुद्धि लब्धि।     

सीमा रेखित (Borderline). 70-85 या 90               

अति अल्प (Mild )               50-70

अल्प (Moderate).             35-50

गंभीर (Seviour).                20-35

अति गंभीर (Profound )      20 से नीचे





क. सीमा रेखित (Borderline) :- बुद्धि लब्धि 70 से 85 या 90 तक के बच्चों । मानसिक मंदता की सीमा रेखित श्रेणी में रखा जाता है। इस श्रेणी में आने वाले मानसिक मंद बच्चों की पहचान प्रायः हो पाती है। इसलिए यह सामान्य विद्यालयों में पिछड़े

बच्चों के रूप में शिक्षा ग्रहण करते हुए पाए जाते हैं। जब इनकी पहचान कर ली जाती है तो इन्हें विशेष तकनीकी द्वारा समेकित

शिक्षा के अंतर्गत सुगमता पूर्वक शिक्षण सुविधाएं प्रदान की जाती


ख. अति अल्प मानसिक मंदता :- इस श्रेणी में 50 से 70 बुद्धि लब्धि वाले बच्चे आते हैं। इनकी मानसिक आयु 8-10 वर्ष के बच्चे के बराबर होती है। इन्हें सामाजिक कौशल, शैक्षिक कौशल के क्रियाकलाप में आत्मनिर्भर होते हैं। परंतु इन्हें निर्देशन सूक्ष्म गामक क्षेत्र में विकसित किया जाता है। यह अपने दैनिक जीवन आवश्यकता होती है।

ग. अल्प मानसिक मंदता :- इस श्रेणी में 35 से 50 बुद्धि लब्धि वाले बच्चे आते हैं। इनमें सामाजिक जागरूकता कम होती है। इन्हें

दैनिक जीवन के क्रियाकलाप संबंधी प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इन्हें सामाजिक और व्यवसाय सम्बन्धी कौशल में प्रशिक्षण दिया

जा सकता है ।


घ. गंभीर मानसिक मंदता :- इसके अंतर्गत आने वाले बच्चों की बुद्धि लब्धि 20-30 होती है । इनका गामक विकास पिछड़ा होता है।

इन्हें अधिक देखभाल की जरूरत होती है। इनको स्वयं के देखरेख जैसे कौशल में निपुणता हेतु अधिक से अधिक प्रशिक्षण देने की आवश्यकता होती है।

ङ. अति गंभीर मानसिक मंदता इसके अंतर्गत बुद्धि लब्धि 20 से नीचे वाले बच्चों को रखा जाता है। इनकी प्रत्येक आवश्यकताओं पर ध्यान देना अनिवार्य होता है। ये पूरी तरह दूसरों पर आश्रित होते हैं ।


3. शैक्षणिक वर्गीकरण :- शैक्षणिक वर्गीकरण के अंतर्गत इन बच्चों के क्रिया कलाप एवं कार्य सम्पादन करने के स्तर आकलन किया जाता है । आकलन के उपरांत पाये गये वर्तमान स्तर के आधार पर मानसिक मंदता को तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है।


अ. शिक्षणीय मानसिक मंद ( E-MR ) :- इसके अंतर्गत ऐसे बच्चे आते हैं जिनके बुद्धि लब्धि 50-70 के बीच होती है। समाज में अच्छी तरह व्यवस्थित हो सकते हैं। इन्हें सामाजिक कौशल भी सिखाया जाता है। ऐसे बच्चों को कार्य करने के अनुसार शिक्षित किया जा सकता है। व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी इन्हें कोई कार्य सिखाना लाभदायक होता है। ऐसे बच्चे पूर्णता या अंशतः आत्मनिर्भर हो सकते हैं।


ब. प्रशिक्षणीय मानसिक मंद (T-M-R) = इसके अंतर्गत ऐसे मंदबुद्धि बच्चे आते हैं। जिन्हें प्रशिक्षण द्वारा कुछ हद तक आगे बढ़ाया जा सकता है। इन्हें छोटे-छोटे कौशलों में प्रशिक्षण दिया जाता है। इनका सामाजिक समायोजन एक सीमा तक ही हो पाता है। इन्हें

भी व्यवसाय हेतु प्रशिक्षित किया जा सकता है ।


स. अभिरक्षणीय (C-M-R)  :- इसके अंतर्गत वे बच्चे आते हैं। जिन्हें विशेष देखरेख की जरूरत होती है। इनके गामक विकास हेतु

विभिन्न प्रकार के उपकरणों का प्रयोग करते हुए प्रशिक्षण दिया जाता

 है।

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