Unit 3Learning characteristics of students with ASDUnit: - 3.1Introduction to ASD (concept, aetiology, prevalence, incidence, historical perspective cultural perspective, myths, recent trends and updates ) एएसडी का परिचय ( अवधारणा, एटिओलॉजी, व्यापकता, घटना, ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य, मिथक, हाल के रुझान और अद्यतन)
स्वलीनता ( ऑटिज्म) ग्रीक शब्द ऑटोस से लिया गया है जिसका अर्थ है जिसका अर्थ है अपने आप में खो जाना या लीन हो जाना होता है। ऐसे बच्चे में व्यवहारिक, सामाजिक, बोलचाल, शारीरिक विकास सुनने आदि समस्याओं का मिलजुला रूप देखने को मिलता है। व्यापक विकासात्मक विकास एवं स्वलीनता लक्षण के अनुसार स्वलीनता उसे कहते हैं जिसमें सामाजिक समायोजन, मेलजोल, तथा बातचीत के अभाव के कारण बच्चा एकाग्र चित्त हो जाता है । स्वलीनता से वैसे तो बच्चों को 3 वर्ष की अवस्था तक पहचाना जा सकता है।
इसे बाल्यकाल स्वलीनता व कैनर व्याधि ( सिंड्रोम ) के नाम से जाना जाता है। स्वलीनता पर किए गए शोधों के आधार पर ऐसा पाया गया कि 10,000 में से 4 बच्चे इससे प्रभावित रहते हैं। लड़कियों की तुलना में लडको में इनका प्रतिशत अधिक होता है। स्वलीनता एक जटिल स्नायु विकासात्मक कमी है, जिसमें संप्रेषण, सामाजिकरण, सोच विचार एवं व्यवहार प्रभावित होता है।
सन 1801 में जीन इटार्ड एक ऐसे 12 वर्षीय बालक को जंगल से पकड़ कर लाए जो बोलने में असमर्थ था तथा इशारे के माध्यम से संप्रेषण नहीं करता था। जब उसे किसी चीज की आवश्यकता पड़ती थी तो किसी को खींच लिया करता था। जब वह किसी वस्तु को लेना चाहता था तब उसे प्रतिबंधित किया जाता था तो वह उग्र हो जाता था। उसमें सामाजिक कौशल विकसित करने एवं आवश्यकता अनुसार अशाब्दिक संप्रेषण कराने के प्रयास किए गए । लेकिन असफल है क्योंकि इटावा के अनुसार वह मानसिक मंद था स्वलीन नहीं।
कैनर ने 1943 में बाल्टिमोर में 11 बच्चों का आकलन किया जो या तो मानसिक मंद थे या भावात्मक रूप से विक्षिप्त थे । लेकिन उन्होंने इसे स्वलीन विक्षिप्तता के नाम से पेपर में प्रकाशित किया । इस समूह के लक्षण को उन्होंने कैनर सिंड्रोम नाम दिया। वियना के विश्वविद्यालय में शिशु रोग विशेषज्ञ के पद पर कार्यरत एस्परगर ने स्वलीनता के संदर्भ में पेपर में प्रकाशित करवाया। उन्होंने यह भी अभिव्यक्त किया कि गंभीर स्वलीन बच्चों में व्यवहारिक, सामाजिक एवं संप्रेषण की समस्याएं होती हैं।
परिभाषा = अमेरिकन विकलांगता अधिनियम 1990 के अनुसार :- "स्वलीनता एक विकासात्मक विकलांगता है जो मुख्य रूप से शाब्दिक, अशाब्दिक संप्रेषण एवं सामाजिक अंतः क्रिया को प्रभावित करता है। सामान्य रूप से यह घटना 3 वर्ष से पूर्व होती है जो बच्चे के शैक्षणिक निष्पादन को प्रभावित करती है । "प्रायः इसके कुछ लक्षण भी होते हैं जैसे- एक ही क्रिया को बार-बार दोहराना, दिनचर्या में परिवर्तन, अनुक्रिया एवं संवेदी अनुभूतियां आदि। चूंकि इस प्रकार के बच्चों में गंभीर रूप से भावात्मक कमी होती है इसलिए बच्चे का शैक्षिक निष्पादन विपरीत होता है ।
कुछ स्थिति स्वलीनता के तुल्य ही होती है,
1. एटिपिकल ऑटिज्म :- इस स्थिति में स्वलीनता के सिर्फ एक या दो लक्षण उपस्थित होते हैं।
2. एसपरगर्स सिंड्रोम :- यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बुद्धि तथा मन संप्रेषण का विकास सामान्य बच्चों की तरह होता है परंतु सामाजिक कौशल संबंधित क्षेत्रों में विकास सीमित होता है।
3. रेट्स सिंड्रोम :- यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें लड़की के अंदर कुछ स्नायुतत्रीय समस्या देखी जाती है। जैसे
:- हाथ से संबंधित लिखावट अन्य गतिकीय असमान्यता ।
4. डिसइन्टिग्रेटिव डिसअडर :- यह एक ऐसी स्थिति हैं जिसमें बच्चों में सामान्य विकास होने के पश्चात तेजी से सभी कौशलो में गिरावट देखी जाती है।
महामारी विज्ञान (Epidemiology)
यह अनुमान लगाया गया कि दुनिया भर में लगभग 160 बच्चों में से एक को एएसडी है। यह अनुमान एक औसत आंकड़े का प्रतिनिधित्व करता है, और रिपोर्ट की गई व्यापकता सभी अध्ययनों में काफी भिन्न होती है। हालांकि, कुछ अच्छी से नियंत्रित अध्ययनों ने आंकड़ों की सूचना दी है जो काफी अधिक हैं। कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों में एएसडी की व्यापकता अज्ञात है।
कारण (Causes) - उपलब्ध वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि संभवतः ऐसे कई कारक है जो बच्चे को एएसडी होने की अधिक संभावना बनाते हैं, जिसमें पर्यावरणीय और आनुवंशिक कारक शामिल हैं। उपलब्ध महामारी विज्ञान के आंकड़ों का निष्कर्ष है कि खसरा, कण्ठमाला और रूबेला वैक्सीन और एएसडी के बीच एक कारण संबंध का कोई सबूत नहीं है।
यह सुझाव देने के लिए भी कोई सबूत नहीं है कि कोई अन्य बचपन का टीका एएसडी के जोखिम को बढ़ा सकता है। निष्क्रिय टीकों में निहित परिरक्षक थायोमर्सल और एल्युमीनियम सहायक के बीच संभावित संबंध की साक्ष्य समीक्षा और एएसडी के जोखिम ने दृढ़ता से निष्कर्ष निकाला कि टीके एएसडी के जोखिम को नहीं बढ़ाते हैं।