Basic understanding of specific learning disability, definition and description (concept, aetiology, prevalence, incidence, historical perspective cultural perspective, myths, recent trends and updates), dyslexia, dysgraphia, dyscalculia, dyspraxia and developmental aphasia

 Unit-5
Learning Characteristics of Students with SLD एसएलडी वाले छात्रों की सीखने की विशेषताए —
Unit-5.1
Basic understanding of specific learning disability, definition and description (concept, aetiology, prevalence, incidence, historical perspective cultural perspective, myths, recent trends and updates), dyslexia, dysgraphia, dyscalculia, dyspraxia and developmental aphasia 
विशिष्ट सीखने की अक्षमता, परिभाषा और विवरण की बुनियादी समझ ( अवधारणा, एटिओलॉजी, प्रचलन, घटना, ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य, मिथक, हाल के रुझान और अपडेट), डिस्लेक्सिया, डिस्ग्राफिया, डिस्केकुलिया, डिस्प्रेक्सिया और विकासात्मक वाचाघात —


विशिष्ट सीखने की अक्षमता, परिभाषा और विवरण की बुनियादी समझः — अधिगम अक्षमता पद दो अलग – अलग पदों अधिगम अक्षमता से मिलकर बना है। अधिगम शब्द का आशय सीखने से है तथा अक्षमता का तात्पर्य क्षमता के अभाव या क्षमता की अनुपस्थिति से है। अर्थात सामान्य भाषा में अधिगम अक्षमता का तात्पर्य सीखने क्षमता अथवा योग्यता की कमी या अनुपस्थिति से है। सीखने में कठिनाइयों को समझने के लिए हमें एक बच्चे की सीखने

की क्रिया को प्रभावित करने वाले कारकों का आकलन करना चाहिए। अधिगम अक्षमता पद का सर्वप्रथम प्रयोग 1963 ई. में सैमुअल किर्क द्वारा किया गया था और इसे निम्न शब्दों में परिभाषित किया था।


अधिगम अक्षमता को वाक्, भाषा, पठन, लेखन अंकगणितीय प्रक्रियाओं में से किसी एक या अधिक प्रक्रियाओं में मंदता, विकृति अथवा अवरूद्ध विकास के रूप में परिभाषित किया जा सकता हैं हो संभवताः मस्तिष्क कार्यविरूपता और या संवेगात्मक अथवा व्यावहारिक विक्षोभ का परिणाम है न कि मानसिक मंदता, संवेदी अक्षमता अथवा संस्कृतिक अनुदेशन कारक का। (किर्क, 1963)


इसके पश्चात् से अधिगम अक्षमता को परिभाषित करने के लिए विद्वानों द्वारा निरंतर प्रयास किये किए गए लेकिन कोई सर्वमान्य परिभाषा विकसित नहीं हो पाई।


अमेरिका में विकसित फेडरल परिभाषा के अनुसार, विशिष्ट अधिगम अक्षमता को लिखित एवं मौखिक भाषा के प्रयोग एवं समझने में शामिल एक या अधिक मूल मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया में विकृति, जो व्यक्ति के सोच, वाक्, पठन, लेखन, एवं अंकगणितीय गणना को पूर्ण या आंशिक रूप में प्रभावित करता है, के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसके अंतर्गत इन्द्रियजनित विकलांगता, मस्तिष्क क्षति, अल्पतम असामान्य दिमागी प्रक्रिया, डिस्लेक्सिया, एवं विकासात्मक वाच्चाघात आदि शामिल है। इसके अंतर्गत वैसे बालक नहीं सम्मिलित किए जाते हैं, जो दृष्टि, श्रवण या गामक विकलांगता, संवेगात्मक विक्षोभ, मानसिक मंदता, संस्कृतिक या आर्थिक दोष के परिणामतः अधिगम संबंधी समस्या से पीड़ित है। (फेडरल रजिस्टर, 1977 )


उपर्युक्त परिभाषाओं की समीक्षा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अधिगम अक्षमता एक व्यापक संप्रत्यय है, जिसके अंर्तगत वाक्, भाषा, पठन, लेखन, एवं अंकगणितीय प्रक्रियाओं में से एक या अधिक के प्रयोग में शामिल एक या अधिक मूल मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया में विकृति को शामिल किया जाता है, जो अनुमानतः केन्द्रीय

तंत्रिका तंत्र के सुचारू रूप से नहीं कार्य करने के कारण उत्पन्न होता है। यह स्वभाव से आंतरिक होता है


ऐतिहासिक परिदृश्य — अधिगम अक्षमता के इतिहास पर दृष्टिपात करने से आप पाएंगे कि इस पद ने अपना वर्तमान स्वरुप ग्रहण करने के लिए एक लंबा सफर तय किया है। इस पद का सर्वप्रथम प्रयोग 1963 ई. सैमुअल किर्क ने किया था। यह पद आज सार्वभौम एवं सर्वमान्य है। जिसके पूर्व विद्वानों ने अपने दृ अपने कार्यक्षेत्र के आधार पर अनेक नामकरण किए थे। जैसे दृ न्यूनतम मस्तिष्क क्षतिग्रस्तता (औषधि विज्ञानियों या चिकित्सा विज्ञानियों द्वारा ).

मनोस्नायूजनित विकलांगता (मनोवैज्ञानिकों, स्नायुवैज्ञानिकों द्वारा), अतिक्रियाशिलता (मनोवैज्ञानिकों द्वारा), न्यूनतम उपलब्धता ( शिक्षा मनोवैज्ञानिकों द्वारा) आदि ।


अधिगम अक्षमता की विभिन्न मान्यताओं पर दृष्टिपात करने से अधिगम अक्षमता की प्रकृति के संबंध में आपको निम्नलिखित बातें दृष्टिगोचर होगी-


➤ अधिगम अक्षमता आंतरिक होती है।

➤ यह स्थायी स्वरुप का होता है अर्थात यह व्यक्ति विशेष में आजीवन विद्यमान रहता है।

➤ यह कोई एक विकृति नहीं बल्कि विकृतियों का एक विषम समूह है।

➤ इस समस्या से ग्रसित व्यक्तियों में कई प्रकार के व्यवहार और विशेषताएँ पाई जाती है।

➤ चूंकि यह समस्या केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की कार्यविरूपता से संबंधित है, अतः यह एक जैविक समस्या है।

➤ यह अन्य प्रकार की विकृतियों के साथ हो सकता है, जैसे दृ अधिगम अक्षमता और संवेगात्मक विक्षोभ तथा यह श्रवण, सोच, वाक्, पठन, लेखन एवं अंकगणिततीय गणना में शामिल मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया में विकृति के

फलस्वरूप उत्पन्न होता है, अतः यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या भी है।


अधिगम अक्षमता एक वृहद् प्रकार के कई आधारों पर विभेदीकृत किया गया है। ये सारे विभेदीकरण अपने उद्देश्यों के अनुकूल हैं। इसका प्रमुख विभेदीकरण ब्रिटिश कोलंबिया (201) एवं ब्रिटेन के शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक सपोर्टिंग स्टूडेंट्स विद लर्निंग डिएबलिटी ए गाइड फॉर टीचर्स में दिया गया है, जो निम्नलिखित

है -


➤ डिस्लेक्सिया (पढ़ने संबंधी विकार)

➤ डिस्ग्राफिया (लेखन संबंधी विकार)

➤ डिस्कैलकूलिया (गणितीय कौशल संबंधी विकार)

➤ डिस्फैसिया (वाक् क्षमता संबंधी विकार)

➤ डिस्प्रैक्सिया (लेखन एवं चित्रांकन संबंधी विकार)

➤ डिसऑर्थोग्राफिय ( वर्तनी संबंधी विकार)

➤ ऑडीटरी प्रोसेसिंग डिसआर्डर (श्रवण संबंधी विकार)

➤ विजुअल परसेप्शन डिसआर्डर (दृश्य प्रत्यक्षण क्षमता संबंधी विकार)

➤ सेंसरी इंटीग्रेशन और प्रोसेसिंग डिसआर्डर (इन्द्रिय समन्वयन क्षमता

➤ ऑर्गेनाइजेशनल लर्निंग डिसआर्डर (संगठनात्मक पठन संबंधी विकार)


डिस्लेक्सिया — डिस्लेक्सिया शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्द डस और लेक्सिस से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है कथन भाषा (डिफिकल्ट स्पीच ) । वर्ष 1887 में एक जर्मन रोग विशेषज्ञ रूडोल्बर्लिन द्वारा खोजे गए इस शब्द को शब्द अंधता भी कहा जाता है। डिस्लेक्सिया को भाषायी और संकेतिक कोडों भाषा के ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्णमाला के अक्षरों या संख्याओं प्रतिनिधित्व कर रहे अंकों के संसाधन में होने वाली कठिनाई के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह भाषा के लिखित रूप मौखिक रूप एवं भाषायी दक्षता को प्रभावित करता है यह अधिगम अक्षमता का सबसे सामान्य प्रकार है।


डिस्लेक्सिया के लक्षण - इसके निम्नलिखित लक्षण है

➤ वर्णमाला अधिगम में कठिनाई


➤ अक्षरों की ध्वनियों को सीखने में कठिनाई L EDUCATION

➤ एकाग्रता में कठिनाई

➤ पढ़ते समय स्वर वर्णों का लोप होना

➤ शब्दों को उल्टा या अक्षरों का क्रम इधर दृ उधर कर पढ़ा जाना, जैसे नाम को मान या शावक को शक पढ़ा जाना

➤ वर्तनी दोष से पीड़ित होना

➤ समान उच्चारण वाले ध्वनियों को न पहचान पाना

➤ शब्दकोष का अभाव

➤ भाषा का अर्थपूर्ण प्रयोग का अभाव तथा

➤ क्षीण स्मरण शक्ति


डिस्लेक्सिया का उपचार — डिस्लेक्सिया पूर्ण उपचार अंसभव है लेकिन इसको उचित शिक्षण — अधिगम पद्धति के द्वारा निम्नतम स्तर पर लाया जा सकता है।


डिस्ग्रफिया - डिस्ग्रफिया अधिगम अक्षमता का वो प्रकार है जो लेखन क्षमता को प्रभावित करता है। यह वर्तनी संबंधी कठिनाई, खराब हस्तलेखन एवं अपने विचारों को लिपिवद्ध करने में कठिनाई के रूप में जाना जाता है। (नेशनल सेंटर फॉर लर्निंग डिसबलिटिज्म 2006 ) ।


डिस्ग्रफिया के लक्षण – इसके निम्नलिखित लक्षण है


➤ लिखते समय स्वयं से बातें करना ।

➤ अशुद्ध वर्तनी एवं अनियमित रूप और आकार वाले अक्षर को लिखना

➤ पठनीय होने पर भी कापी करने में अत्यधिक श्रम का प्रयोग करना

➤ लेखन समग्री पर कमजोर पकड़ या लेखन सामग्री को कागज के बहुत नजदीक पकड़ना

➤ अपठनीय हस्तलेखन

➤ लाइनों का ऊपर नीचे लिया जाना एवं शब्दों के बीच अनियमित स्थान छोड़ना तथा

➤ अपूर्ण अक्षर या शब्द लिखना


उपचार कार्यक्रम - चूंकि यह एक लेखन संबंधी विकार है, अतः इसके उपचार के लिए यह आवश्यक है कि इस अधिगम अक्षमता से ग्रसित व्यक्ति को लेखन का ज्यादा से ज्यादा अभ्यास

जाय 


डिस्कैलकुलिया — यह एक व्यापक पद है जिसका प्रयोग गणितीय कौशल अक्षमता के लिए किया जाता है इसके अन्तरगत अंकों संख्याओं के अर्थ समझने की अयोग्यता से लेकर अंकगणितीय समस्याओं के समाधान में सूत्रों एवं सिद्धांतों के प्रयोग की अयोग्यता तथा सभी प्रकार के गणितीय अक्षमता शामिल है।


डिस्कैलकुलिया के लक्षण - इसके निम्नलिखित लक्षण है —

➤ नाम एवं चेहरा पहचनाने में कठिनाई

➤ अंकगणितीय संक्रियाओं के चिह्नों को समझने में कठिनाई

➤ अंकगणितीय संक्रियाओं के अशुद्ध परिणाम मिलना

➤ गिनने के लिए उँगलियों का प्रयोग CIAL EDUCATION

➤ वित्तीय योजना या बजट बनाने में कठिनाई

➤ चेकबुक के प्रयोग में कठिनाई

➤ दिशा ज्ञान का अभाव या अल्प समझ

➤ नकद अंतरण या भुगतान से डर

➤ समय की अनुपयुक्त समझ के कारण समय सारणी बनाने में कठिनाई का अनुभव करना ।


डिस्कैलकुलिया के कारण — इसका करण मस्तिष्क में उपस्थित कार्टेक्स की कार्यविरूपता को माना जाता है। कभी— कभी तार्किक चिंतन क्षमता के अभाव के कारण कार्यकारी समरसता के अभाव के कारण भी डिस्ग्राफिया उत्पन्न होता है।


डिस्कैलकुलिया का उपचार - उचित शिक्षण अधिगम रणनीति अपनाकर डिस्कैलकुलिया को कम किया जा सकता है। कुछ प्रमुख रणनीतियां निम्नलिखित हैं-


➤ जीवन की वास्तविक परिस्थितियों से संबंधी उदहारण प्रस्तुत करना

➤ गणितीय तथ्यों को याद करने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान करना

➤ फ्लैश कार्ड्स और कम्प्यूटर गेम्स का प्रयोग करना

➤ गणित को सरल करना और यह बताना कि यह एक कौशल है जिसे अर्जित किया जा सकता है।


डिस्फैसिया - ग्रीक भाषा के दो शब्दों डिस और फासिया जिनके शाब्दिक अर्थ अक्षमता एवं वाक् होते हैं से मिलकर बने है, शब्द डिस्फैसिया का शाब्दिक अर्थ वाक् अक्षमता से है। यह एक भाषा एवं वाक् संबंधी विकृति है जिससे ग्रसित बच्चे विचार की अभिव्यक्ति व्याख्यान के समय कठिनाई महसूस करते हैं। इस अक्षमता के लिए मुख्य रूप से मस्तिष्क क्षति (ब्रेन डैमेज) को उत्तरदायी माना जाता है।


डीस्प्रैक्सिया - यह मुख्य रूप से चित्रांकन संबंधी अक्षमता की ओर संकेत करता है। इससे ग्रसित बच्चे लिखने एवं चित्र बनाने में कठिनाई महसूस करते हैं।


कारण (Causes) :- विशेषज्ञों का कहना है कि सीखने की अक्षमता का कोई एक विशिष्ट कारण नहीं है। हालाँकि, कुछ कारक हैं जो सीखने की अक्षमता का कारण बन सकते हैं:


➤ आनुवंशिकता: यह देखा गया है कि जिस बच्चे के माता-पिता में

विकार विकसित होने की संभावना है।

➤ जन्म के दौरान और बाद में बीमारी जन्म के दौरान या बाद में कोई बीमारी या चोट सीखने की अक्षमता का कारण बन सकती है। अन्य संभावित कारक गर्भावस्था के दौरान दवा या शराब का सेवन, शारीरिक आघात, गर्भाशय में खराब वृद्धि, जन्म के समय कम वजन और समय से पहले या लंबे समय तक श्रम हो सकता है।


➤ शैशवावस्था के दौरान तनावः जन्म के बाद एक तनावपूर्ण घटना जैसे तेज बुखार, सिर में चोट या खराब पोषण |



सहरुग्णता (Comorbidity) :- सीखने की अक्षमता वाले बच्चों में ध्यान समस्याओं या विघटनकारी व्यवहार विकारों के लिए औसत से अधिक जोखिम होता है । पठन विकार वाले 25 प्रतिशत बच्चों में एडीएचडी भी होता है। इसके विपरीत, यह अनुमान लगाया गया है कि एडीएचडी के निदान वाले 15 से 30 प्रतिशत बच्चों में सीखने की

बीमारी है।


शोधकर्ताओं को सीखने की अक्षमता के सभी संभावित कारणों का पता नहीं है, लेकिन उन्होंने संभावित कारणों को खोजने के लिए अपने काम के दौरान कई जोखिम वाले कारकों का पता लगाया है। अनुसंधान से पता चलता है कि जोखिम कारक जन्म से मौजूद हो सकते हैं और परिवारों में चलते हैं। वास्तव में, जिन बच्चों के

माता - पिता सीखने की अक्षमता से ग्रस्त हैं, उनमें स्वयं सीखने की अक्षमता विकसित होने की संभावना अधिक होती है। सीखने की अक्षमताओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए, शोधकर्ता अध्ययन कर रहे हैं कि बच्चों का दिमाग कैसे पढ़ना, लिखना और गणित कौशल विकसित करना सीखता है। शोधकर्ता उन लोगों की जरूरतों को पूरा करने में मदद करने के लिए हस्तक्षेप पर काम कर रहे हैं, जो सीखने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार के लिए सीखने की अक्षमता वाले लोगों सहित सबसे ज्यादा पढ़ने के लिए संघर्ष करते हैं।

गर्भ में विकसित होने वाले भ्रूण को प्रभावित करने वाले कारक, जैसे शराब या नशीली दवाओं का उपयोग, बच्चे को सीखने की समस्या या विकलांगता के लिए उच्च जोखिम में डाल सकते हैं। शिशु के वातावरण में अन्य कारक भी भूमिका निभा सकते हैं। इनमें खराब पोषण या पानी या पेंट में सीसा का संपर्क शामिल हो सकता है। जिन छोटे बच्चों को उनके बौद्धिक विकास के लिए आवश्यक सहायता नहीं मिलती है, वे सीखने की अक्षमता के लक्षण दिखा सकते हैं ।


भारत में विशिष्ट शिक्षण अक्षमता का प्रसार विभिन्न अध्ययनों में 5: - 15 के बीच है। लड़कियों की तुलना में लड़कों को अधिक प्रभावित होने के साथ एक लिंग पूर्वाग्रह प्रतीत होता है। सह रुग्णताओं में शामिल हैं अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, कंडक्ट डिसऑर्डर, डिप्रेसिव डिसऑर्डर, एंग्जायटी डिसऑर्डर और अन्य व्यवहारिक और भावनात्मक विकार


1. मिथक (Myth ) – एलडी वाले लोग सीख नहीं सकते ।


तथ्य ( Fact ) :-


➤ एलडी वाले लोग स्मार्ट होते हैं और सीख सकते हैं।

➤ एलडी का मतलब अलग-अलग तरीकों से सीखना है।


2. मिथक (Myth) — एलडी वाले लोग आलसी होते हैं।

तथ्य ( Fact ) :-


➤ एलडी वाले लोगों को अक्सर अधिक मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन परिणाम उनके प्रयासों को नहीं दिखा सकते हैं।

➤ एलडी वाले कुछ लोग निराश हो सकते है क्योंकि उन्होंने बहुत कठिन संघर्ष किया है, और वे प्रेरित या आलसी दिखाई दे सकते हैं।


3. मिथक(Myth) :- आवास अनुचित लाभ देते हैं।

तथ्य ( Fact ) :-



➤ आवास एलडी वाले लोगों को उनकी क्षमता के स्तर पर काम करने की अनुमति देते हैं न कि उनकी अक्षमता के लिए।

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