Unit: - 4.5Level of intellectual disability and its relevance to learning characteristics - बौद्धिक अक्षमता का स्तर और सीखने की विशेषताओं के लिए इसकी प्रासंगिकता
Mild Intellectual Disability (अति अल्प मानसिक मंदता)— इनकी बुद्धि लब्धि 50 से 70 के बीच होती है । यह बच्चे सामान्य विद्यालय पाठ्यक्रम से कक्षा 5 तक की पढ़ाई करने में सक्षम होते हैं । सामाजिक कौशल, क्रियात्मक शिक्षण कौशल, गामक एवं सूक्ष्म गामक कौशल, दैनिक क्रिया कौशल इत्यादि में यह पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होते हैं। यह व्यवसायिक दृष्टि से भी निर्देशन एवं सहयोग से स्वरोजगार या खुले रोजगार करने में समर्थ होते हैं। यह समाज में अच्छे संबंध बनाकर रह सकते हैं। इन बच्चों में सामान्य बच्चों की अपेक्षा थोड़ी कमी पाई जाती है। शारीरिक बनावट, शक्ल आदि में सामान्य बच्चों से भिन्न नहीं होते हैं।
Moderate Intellectual Disability (अल्प मानसिक मंदता) — इसके अंतर्गत 35 से 50 बुद्धि लब्धि तक के बच्चे आते हैं। इनका विकास देर से होता है। इनमें सभी क्षेत्रों में अति अल्प मानसिक मंदता वाले बच्चों से ज्यादा कमी होती है परंतु इनमें दैनिक जीवन के क्रियाकलापों, घरेलू, सामाजिक एवं व्यवसायिक कौशलों में प्रशिक्षणों के द्वारा आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। इन्हें व्यवसायिक प्रशिक्षण रोजगार में भी लगाया जा सकता है। यह पहली दूसरी कक्षा तक पढ़ सकते हैं। अपनी देखभाल करना सीख सकते हैं।
Severe Intellectual Disability (गंभीर मानसिक मंदता ) :— इसमें 20 से 35 बुद्धि लब्धि वाले बच्चे सम्मिलित होते हैं । इन्हें प्रशिक्षण देकर गामक कौशल एवं स्वयं के देखरेख कौशल में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है । परंतु इनकी निरंतर देखभाल की जरूरत होती है। यह अपनी किसी भी मांग को नहीं बता पाते हैं। यह वाणी, इशारे से अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु संप्रेषण द्वारा व्यक्त करते हैं। इंग्लिश साधारणतः शैशवावस्था में ही पहचान लिया जाता है। इसमें अधिकांशतः वाणी दोष एवं शारीरिक अक्षमता भी जाती है। इन्हें शौच कपड़ा पहनने, भोजन संबंधी क्षेत्र में प्रशिक्षित कर सकते हैं।
Profound Intellectual Disability (अति गंभीर मानसिक मन्दता ) —
इसमें 20 से कम बुद्धि लब्धि वाले बच्चे आते हैं। इनमें आने वाले बच्चों को हमेशा ही देखभाल की आवश्यकता होती है। इनकी प्रत्येक आवश्यकताएं विशिष्ट होती हैं। यह कोई भी कार्य करने में अक्षम होते हैं। यह दूसरों पर पूर्णता आश्रित होते हैं एवं इन्हें निरंतर गामक प्रशिक्षण एवं चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता होती है।