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 दुर्व्यसन




तम्बाकूः-


• तम्बाकू पादप निकोटिएना टोवेक्कम, कूल सोलेनेसी की पत्तियों से प्राप्त किया जाता है। पत्तियों से 1-8 प्रतिशत तक निकोटिन नामक एल्केलॉयड पाया जाता है। तम्बाकू को बीड़ी, सिगरेट, चिलम, सिगार, हुक्का या अन्य रूप से उपयोग किया जाता है।



तम्बाकू के उपयोग से होने वाली हानियाँ निम्न है-


1. तम्बाकू के निरंतर सेवन से मुँह, जीभ, गले व फेफड़ों आदि का कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।


2. तम्बाकू में उपस्थित निकोटिन धमनियों की दीवारों को मोटा कर देती है जिससे रक्त दाब व हृदय स्पंदन की दर बढ़ जाती है।


3. गर्भवती महिलाओं द्वारा तम्बाकू का सेवन करने पर भ्रूण विकास की गति मंद पड़ जाती है।


4. सिगरेट के धुएँ में उपस्थित कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO) लाल रुधिर कणिकाओं को नष्ट कर रुधिर की ऑक्सीजन परिवहन की क्षमता कम कर देती है।


गुटखाः-


• सुपारी के टुकड़ों, कत्था, चूना, संश्लेषित खुशबू, धातुओं के वर्क आदि पदार्थों के मिश्रण से गुटखा तैयार किया जाता है। गुटखा के सेवन से जबड़ा कठोर हो जाता है, ऐसा सबम्युकस फाईब्रोसिस रोग के कारण होता है। संश्लेषित पदार्थों के कई कैंसरजन्य होने की भी संभावना होती है।


मदिराः-

मदिरा से नशे का कारण ऐथिल एल्कोहल (C,H,OH) होता है।


मदिरा सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव निम्न है-


1. मदिरा पान से वसीय यकृत (लीवर सिरोसिस) रोग हो जाता है, जिससे प्रोटीन व फार्बोहाइड्रेट संश्लेषण पर प्रभाव पड़ता है।


2. इससे एल्कोहल रक्त प्रवाह द्वारा यकृत में पहुँचता है। अधिक मात्रा में उपस्थित एल्कोहल को यकृत एसीटैल्डिहाइड में बदल देता है जो विषैला पदार्थ है।


3. एल्कोहल से स्मरण क्षमता में कमी आती है तथा तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है।


4. एल्कोहल से शारीरिक नियंत्रण व कार्यक्षमता कमजोर होती है।


अफीम:-


अफीम पादप पैपेवर सोमनिफेरम के कच्चे फल से प्राप्त दूध को सुखाने से बनता है। इसके दूध में लगभग 30 प्रकार के एल्केलॉयड पाए जाते है। इनमें से मार्फिन, कोडिन, निकोटिन, सोमनिफेरिन पैपेवरिन प्रमुख है। मार्फिन व कोडिन का प्रयोग दर्द निवारक दवा बनाने हेतु भी किया जाता है। पश्चिमी राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में गम या खुशी के अवसरों पर अफीम या उससे बने नशीले पदार्थ हेरोइन की मनुहार करने की प्रथा आज भी है।


अन्य नशीले पदार्थ:-


• कोकीन, भांग, चरस, गांजा, हशीश, एलएसडी (लायसर्जिक एसिड डाई इथाइल एमाइड) आदि अन्य पदार्थों के रूप में प्रचलन है।


दवाओं का दुरुपयोगः-


• डॉक्टर के पर्चे पर मिलने वाली दवाओं जैसे मार्फीन, पेथेडीन, ब्यूप्रीनोर्फिन, प्रोपोक्सिफीन, नाइट्राजिपाम का दुरुपयोग नशे के लिए बढ़ा है। पूर्वोत्तर राज्यों में हेरोइन का इंजेक्शन लेने का चलन अधिक है।



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