बाल विवाह
परिचय
● देश में बाल विवाह को रोकने के लिए सिविल (नेटिव) मैरिज एक्ट 1872 पारित किया गया जिसमें लड़की व लड़के की विवाह योग्य न्यूनतम आयु क्रमशः 14 वर्ष व 18 वर्ष रखी गई।
● राजस्थान में सर्वप्रथम अजमेर निवासी हरिविलास शारदा के प्रयासों से 1929 में शारदा एक्ट पारित करवाया जो देशभर में 1 अप्रैल, 1930 से लागू हुआ। इस एक्ट में भी लड़के व लड़की की शादी की न्यूनतम उम्र क्रमशः 18 वर्ष व 14 वर्ष रखी गई।
● इसके पश्चात् सन् 1949, 1978 और 2006 में इसमें संशोधन किए गए। वर्तमान में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 लागू है।
● यह अधिनियम दिनांक 1 नवम्बर, 2007 से पांडिचेरी में रहने वाले फ्रेंच रोनेकांट प्रजाति को छोड़कर सम्पूर्ण भारत वर्ष में लागू है।
● इस अधिनियम के जरिये विवाह करने की न्यनूतम आयु बालक एवं बालिका के लिए क्रमश: 21 वर्ष एवं 18 वर्ष तय की गई है।
● राज्य में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु राजस्थान बाल विवाह प्रतिषेध नियम, 2007 लागू किए गए है ।
● राष्ट्रीय बाल नीति, 2013 एवं बच्चों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना, 2016 में बच्चों के संरक्षण के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए
बाल विवाह को प्रभावी रोकथाम पर विशेष जोर दिया गया है।
बाल विवाह के कारण
● खासतौर से राजस्थान में बालविवाह धड़ल्ले से होते है।
● देहज प्रथा, गरीबी, अशिक्षा, बुजुर्गों की अज्ञानता ।
● लड़की की शादी को माता-पिता द्वारा बोझ समझना ।
● बालिका की सुचिता और कौकार्य सुनिश्चित रखने की मानसिकता ।
● कानून व शिथिल क्रियान्वयन, शासन तंत्र की इच्छा शक्ति का अभाव ।
● संयुक्त परिवार प्रणाली।
बाल विाह के दुष्परिणाम
● शिशु व मातृ मृत्यु दर में वृद्धि ।
● जनसंख्या वृद्धि ।
● लिंगानुपात में कमी ।
● शारीरिक व मानसिक विकास अपूर्ण ।
● बाल दंपती जीवन भार संभालने में अयोग्य ।
● शिक्षा के मूल अधिकार का हनन ।
● सामाजिक अलगाव ।
● यौन संक्रामक बीमारियों का खतरा ।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006
● बालक- बालक से ऐसा अभिप्रेरत है जिसकी आयु यदि पुरुष है तो 21 वर्ष से कम या यदि नारी है तो 18 वर्ष से कम है।
● बालक विवाह- बाल विवाह से ऐसा विवाह अभिप्रेत है जिसमें विवाह के दोनों पक्षकार अथनन कोई एक बालक है अर्थात् जिसकी आयु यदि पुरुष है तो 21 वर्ष से कम व नारी है तो 18 वर्ष से कम है।
● दाण्डिक प्रावधान- कोई पुरुष यदि 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने के पश्चात् बाल विवाह करता है, तो ऐसा करना अपराध माना जाएगा तथा उसे 2 वर्ष की कठोर कारावास की सजा या 1 लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकेगा ( धारा-9)