चोरी
भारतीय न्याय संहिता 2023 के अध्याय 17 में सम्पत्ति के विरुद्ध अपराधों के विषय में चोरी को महत्वपूर्ण अपराध माना गया है।
चोरी- जो कोई किसी व्यक्ति के कब्जे में से, उस व्यक्ति की सम्पत्ति के बिना कोई जंगम सम्पत्ति बेईमानी से ले लेने का आशय रखते हुए वह सम्पति ऐसे लेने के लिए हटाता है, वह चोरी करता है, यह कहा जाता है। (भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 303)
चोरी का अपराध कारित करने के लिए निम्नलिखित पाँच तत्थ आवश्यक माने गए है-
1. बेईमानी आशय होना आवश्यक है।
2. ऐसी सम्पत्ति का चल सम्पति होना आवश्यक है।
3. वस्तु पर किसी व्यक्ति का आधिपत्य होना आवश्यक है।
4. सम्पत्ति का अभाव होना आवश्यक है।
5. उस वस्तु को हटाया जाना या ले जाना आवश्यक है।
झपटमारी चोरी करने के लिए अपराधी अचानक या न्याय संहिता की धारा 304) शीघ्रता से किसी व्यक्ति से वस्तु छीन लेता है तो तीन वर्ष वर्ष तक कारावास (भारतीय
निवास ग्रह, यातायात के साधन या पूजा स्थल आदि में चोरी 7 वर्ष तक कारावास और जुर्माना (भारतीय न्याय संहिता की धारा 305)
• लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे में संपत्ति की चोरी 7 वर्ष तक कारावास और जुर्माना (भारतीय न्याय संहिता की धारा 306)
• चोरी करने के लिए मृत्यु, उपहति या अवरोधकारित करने की तैयारी के पश्चात् चोरी- दस वर्ष का कठिन कारावास और जुर्माना (भारतीय न्याय संहिता की धारा 307)
• उद्दापन- कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कोई क्षति करने के भय से साशय डालता है तथा मूल्यवान प्रतिभूति को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है, वह 'उद्दापन' करता है (भारतीय न्याय संहिता की धारा 308)
• लूट- लूट चोरी का ही एक गम्भीर रूप है। चोरी में जब हिंसा के साथ धमकी, सदोश अवरोध और भय जैसे तत्व शामिल हो लूट बन जाता है। (भारतीय न्याय संहिता की धारा 309)
• चोरी व लूट में अंतर-
चोरी
लूट
बल का प्रयोग बिल्कुल नहीं
बल को एक आवश्यक तत्व माना गया है
भय का तत्व नहीं
भय का तत्व हो भी सकता है और नहीं भी
• डकैती - जय पाँच या अधिक व्यक्ति मिलकर लूट करते है या प्रयत्न करते है, डकैती कहलाती है। डकैती में वे सब शामिल है, जो लूट में होते है। (भारतीय न्याय संहिता की धारा 310) •
● क्लेप्टोमेनिया - एक ऐसा रोग जिससे ग्रस्त व्यक्ति को चोरी करने की आदत लग जाती है और ऐसी चीजे चुराने लग जाता है जिसकी उसे जरूरत भी नहीं हो।